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Showing posts from February, 2021

केंद्रीय विद्यालय न खोलकर, मोटी फीस वाले निजी स्कूल के लिए सरकार, कोर्ट तक से बगावत ! पर, क्यों आई आई टी मंडी ?

  हम अक्सर देखते है की, सरकार के आदेशों की पालना करना सभी सरकारी तंत्रो का काम होता है, उनका कर्तव्य होता है, लेकिन आई आई टी मंडी का प्रशासन तो सरकार के आदेश को धत्ता बताते हुए कैंपस में चल रहे निजी स्कूल को बचाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है, यहाँ तक की दिल्ली उच्च न्यायायल के द्वारा निजी स्कूल को बंद कर केंद्रीय विद्यालय खोलने के दिए गए आदेश का भी पुरजोर विरोध करते हुए ,खुद की जेब से पैसे खर्च करते हुए उच्च न्यायलय दिल्ली में पुनःविलोकन की याचिका तक दायर कर दी, इसके अलावा मेरी शिकायत पर मंत्रालय न जब केंद्र सरकार के केंद्रीय विद्यालय खोलने के आदेश पर आई आई टी प्रशासन से जवाब माँगा तो रजिस्ट्रार न झूठ तक बोल दिया. अब सवाल उठता है, ऐसा किया क्यों? इतनी शिद्दत से निजी स्कूल को बचाने के लिए क्यों आमादा हो रहा है आई आई टी प्रशासन?ऐसा क्या जुड़ाव/फायदा है इस निजी स्कूल से जिसकी वजह से आप हर संभव प्रयास कर रहे हो इसको बचाने का एवं केंद्रीय विद्यालय नहीं आने का?   क्या स्वार्थ है इनका इसके पीछे ? कही कोई दाल में काला है या पूरी दाल ही काली है? इनकी नियत में खोट क्यों है ? क्या कोई मोटा धन म

सोशल मीडिया पर होते सियासी घमासान से, बिगड़ते आपसी रिश्ते,इन्हे संभाले

आजकल अधिकतर व्यक्ति सोशल मीडिया पर एक्टिव है. व्यक्ति अपने विचारो को सोशल मीडिया पर व्यक्त करता है, दर्शाता है की वो किसी विषय पर क्या राय रखता है, उसका विषय पर क्या सोचना है, क्या पक्ष है. किसी भी विषय पर विचार अपने अकाउंट पर व्यक्त करना उसका स्वत्रंत अधिकार है, उसके द्वारा  व्यक्त किये गए विचार उसके फॉलोवर एवं सोशल मीडिया अकाउंट पर बने दोस्तों,मिलने वाले, जानने वाले तक पहुंचते है और यही से फिर रिश्तो में कड़वाहट होनी शुरू हो जाती है। कौन सही, कौन गलत इसका मूल्याँकन सोशल मीडिया पर करना लगभग असम्भव है फिर भी अपने आप को सही एवं दूसरे को गलत साबित करने की होड़ मची हुई है और इसी होड़ में बलि चढाई जाती है अपने आपसी सम्बंधो की. सोशल मीडिया के इस युग में अब आमजन में एक दूसरे के विचारो की क़द्र, इज्जत करना,भले ही आप उसके विचारो से संतुष्ट नहीं हो, लघभग न के बराबर हो गया है. पार्टी के एजेंट, दलाल, भक्त,चमचा,देश विरोधी, देश भक्त, गोबर भक्त,अंधभक्त, पाकिस्तानी,आतंकवादी आदि जैसे शब्दों से किसी को नवाजना अब आम बात हो गयी है. यदि किसी व्यक्ति द्वारा किसी गंभीर मुद्दे पर कोई पोस्ट सोशल मीडिया पर डाली ज