ज हां कोरोना की वजह से हालात देश में बदतर होते जा रहे है वहीं अब यह बात उठने लगी की मोदी सरकार ने 2014 से किया क्या ? लोग दावे कर रहे है की शिक्षा हो या चिकित्सा व्यवस्था दोनों में ही मोदी सरकार ने देश का बट्टा बिठा दिया और दिए तो सिर्फ मंदिर,मूर्ति एवं स्टेडियम. यदि देश में मेडिकल सुविधा अच्छी होती तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता. इसमें कोई दो राय नहीं कि देश में चिकित्सा व्यवस्था जरुरत के हिसाब से ठीक नहीं है. कहा जाता है शिक्षा व्यवस्था में भी मोदी सरकार का कोई योगदान नहीं, लेकिन यदि आकंड़ो पर नजर डाली जाये तो निकल कर सामने आता है की NDA सरकार UPA सरकार से एम्स,आई आई टी,आई आई आई टी, एन आई टी एवं आई आई एम खोलने में बाजी मार गयी है. पहले हम एम्स यानि की " ऑल इंडिया इंस्टीटूट्स ऑफ़ मेडिकल साइंस" की बात करे तो बता दे देश में फ़िलहाल 22 एम्स है जिनमे से 19 कार्यरत है जबकि 3 अभी विकासशील है. पहले एम्स की घोषणा 1952 हुई थी जो 1956 में कार्यरत हुआ, देश का पहला एम्स दिल्ली में स्थापित हुआ उसके बाद लगभग 50 वर्ष तक देश में मेडिकल की सुविधा के लिए एम्स जैसे नए इंस्टिट्यूट खोलने के लिए