Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2021

AIIMS, IITs, IIITs, NITs & IIMs खोलने में NDA, UPA से कहीं आगे

ज हां कोरोना की वजह से हालात देश में बदतर होते जा रहे है वहीं अब यह बात उठने लगी की मोदी सरकार ने 2014 से किया क्या ? लोग दावे कर रहे है की शिक्षा हो या चिकित्सा व्यवस्था दोनों में ही मोदी सरकार ने देश का बट्टा बिठा दिया और दिए तो सिर्फ मंदिर,मूर्ति एवं स्टेडियम. यदि देश में मेडिकल सुविधा अच्छी होती तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता. इसमें कोई दो राय नहीं कि देश में चिकित्सा व्यवस्था जरुरत के हिसाब से ठीक नहीं है. कहा जाता है शिक्षा व्यवस्था में भी मोदी सरकार का कोई योगदान नहीं, लेकिन यदि आकंड़ो पर नजर डाली जाये तो निकल कर सामने आता है की NDA सरकार UPA सरकार से एम्स,आई आई टी,आई आई आई टी, एन आई टी  एवं आई आई एम खोलने में बाजी  मार गयी है.  पहले हम एम्स यानि की " ऑल इंडिया इंस्टीटूट्स ऑफ़ मेडिकल साइंस" की बात करे तो बता दे देश में फ़िलहाल 22 एम्स है जिनमे से 19 कार्यरत है जबकि 3 अभी विकासशील है. पहले एम्स की घोषणा 1952 हुई थी जो 1956 में कार्यरत हुआ, देश का पहला एम्स दिल्ली में स्थापित हुआ उसके बाद लगभग 50 वर्ष तक देश में मेडिकल की सुविधा के लिए एम्स जैसे नए इंस्टिट्यूट खोलने के लिए

Acu प्रेशर वायरस के इलाज में भी हो सकता है गुणकारी : एक्यूप्रेशर शोध परिषद्, प्रयागराज

भारत में आयुर्वेद एवं योग आदि से कई ऐसी गंभीर बीमारियों का इलाज हो सका है जिसके बारे में शायद सोचा भी नहीं गया होगा. अनेक तरह की थेरेपी एवं देशी नुस्खे कई तरह के रोगो में लेने के लिए लोगो को प्रोत्साहित किया जाता है. लोग अपने विवेकानुसार उनको लेते भी है. उन नुस्खों के पीछे कई तरह के तर्क भी होते है तो कई शोध. दादी माँ के नुस्खे हम सब ने घर में अनेको बार आजमाए होंगे लेकिन उनकी प्रमाणिकता की बात करे तो शायद हम निराश होंगे.  उसी की कड़ी में हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमे बताया जा रहा है की काले मार्कर पेन से दोनों हाथों की कनिष्ठा अंगुलियों को रंगकर कोरोना से बचा जा सकता है. इस वीडियो को देखने के बाद तरह-तरह की शंकाये उत्पन्न होने लगी. लेकिन उन शंकाओ को विराम देने के लिए जब हमने पड़ताल की तो पता चला यह वीडियो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के प्रयागराज जिले में स्थित एक शोध संस्थान की किताब के हिसाब से बनाया गया है.  एक्यूप्रेशर शोध परिषद् एवं उपचार संस्थान, प्रयागराज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत पारुल अग्रवाल ने भी अपने फेसबुक पोस्ट पर इसके बारे में लोगो को जागरूक किया है.  पारुल अग्