हर छोटी छोटी बात पर पुलिस तक बात पहुंचाने वाले आज मौन है क्योकि आज बात केंद्रीय मंत्री की है , चुनावी माहौल की है... अरे जनाब जब चुनाव सर पर हो तो सत्ताधारी पार्टी के वार्ड पार्षद के खिलाफ भी पुलिस कारवाही से बिदकती है तो यहाँ तो बात सत्ता के शिखर पर बैठे चौकीदार साहब जावड़ेकर जी की है तो पुलिस की क्या मजाल की वो साहब पर कुछ एक्शन लेने का ख्याल भी दिल में लाये ..रहा सवाल कानून की बैंड बजाने का तो ये हिंदुस्तान है मेरे दोस्त यहाँ पर "आम जान में भय और अपराधियों में विश्वास " की टैग लिए दूसरी भाषा में लिखी जाती है... खेर मनाइये की सूचना के अधिकार के तहत दिल्ली पुलिस को दिल पर पत्थर रखकर, मज़बूरी में ये कबूल तो करना पड़ा की जाँच बीरबल की खिचड़ी की तरह शिकायत पर जारी है। वैसे यदि यह शिकायत सरोवत्तम न्यायायल के सॉलिसिटर अधिवक्ता (ऑन रिकॉर्ड) के माध्यम से नहीं होती तो शायद अब तक मेरी रेल बन गयी होती। "धार्मिक भावनाये हुई आहत" के कारन हर रोज ढेरो शिकयतें पुलिस में होने पर अखबारों की हैडलाइन बनाने वाले आज मीडिया खोजी पत्रकार से लेकर उदासीन पत्रकार भी