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"चौकीदार जावड़ेकर" मानव संसाधन मंत्रालय के खिलाफ शिकायत पर दिल्ली पुलिस हुई पंगु..


हर छोटी छोटी बात पर  पुलिस तक बात पहुंचाने वाले आज मौन है क्योकि आज बात केंद्रीय मंत्री की है , चुनावी माहौल की है... अरे जनाब जब चुनाव सर पर हो तो सत्ताधारी पार्टी के वार्ड पार्षद के खिलाफ भी पुलिस कारवाही से बिदकती है तो यहाँ तो बात सत्ता के शिखर पर बैठे  चौकीदार साहब जावड़ेकर जी की है तो पुलिस की क्या मजाल की वो साहब पर कुछ एक्शन लेने का ख्याल भी दिल में लाये ..रहा सवाल कानून की बैंड बजाने का तो ये हिंदुस्तान है मेरे दोस्त यहाँ पर "आम जान में भय और अपराधियों में विश्वास " की टैग लिए दूसरी भाषा में लिखी जाती है... 
खेर मनाइये की सूचना के अधिकार के तहत दिल्ली पुलिस को दिल पर पत्थर रखकर, मज़बूरी में  ये  कबूल तो करना पड़ा की जाँच बीरबल की खिचड़ी की तरह शिकायत पर जारी है। वैसे  यदि यह शिकायत सरोवत्तम न्यायायल के सॉलिसिटर अधिवक्ता (ऑन रिकॉर्ड) के माध्यम से नहीं होती तो शायद अब तक मेरी रेल बन गयी होती। 
"धार्मिक भावनाये  हुई आहत" के कारन हर रोज ढेरो  शिकयतें पुलिस में होने पर अखबारों की हैडलाइन बनाने वाले आज मीडिया खोजी पत्रकार से लेकर उदासीन पत्रकार  भी मोन है क्योकि मामला बड़े राजा साहब का है, कौन कमब्खत हिम्मत करे दिल्ली पुलिस को  बताने का की साहब 2 महीने में भी शिकायत पर फर्स्ट इन्फोर्मेटिन रिपोर्ट ( F.I.R) पुलिस के द्वारा नहीं लिखी गयी ।

Rent Deciding committee News

Opened Private School


आखिर माजरा क्या है ये भी समझ लीजिये -


माजरा है की अट्ठाइस जुलाई 2016  (28.06.2018) को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तकनिकी विभाग से एक सर्कुलर सभी आई आई टी को जारी होता है जिस पर हस्ताक्षर सभी आई आई टी सेक्शन की हेड श्रीमती तृप्ति गुहा के थे। मैडम ने सर्कुलर में बहुत अच्छी देशहित की बात कही जो की आई आई टी में हो रही धांधलियों के खिलाफ एक छोटा सा बिगुल था ।सर्कुलर में कहा गया की "
मुझे यह बताने के लिए निर्देशित किया जाता है कि यह नोटिस किया गया है की आई आई टी के  परिसरों में निजी स्कूल स्थापित करने या प्रबंधित करने के लिए आईआईटी के पीपीपी या इसी तरह के समझौतों आई आई टी अथॉरिटी के द्वारा किया जा रहा है जो की भारत सरकार की निति जिसके तहत अपने परिसरों पर संस्थान के संकाय और कर्मचारियों के बच्चों और वार्डों के लाभ के लिए केंद्रीय विद्यालय की स्थापना करने के सख्त खिलाफ है ।
भारत सरकार की मौजूदा नीति के बाद से, आई आई टी परिसर में किसी भी प्रकार के निजी स्कूल जो निजी पार्टियों के स्वामित्व या आई आई टी के प्रबंधन में है, को खोलने की अनुमति नहीं है, यदि ऐसे कोई स्कूल परिसर में चल रहे है तो  ऐसे स्कूल को बंद करने के लिए यथा शीघ्र उचित कदम उठाए जाये।" 



जैसे ही यह सर्कुलर आई आई टी के अधिकारियो तक पहुंचा तो जैसे उनकी हवा टाइट हो गयी, पैरो तले जमीन खिसक गयी क्योकि अपने बीवी एवं रिश्तेदारों को उसमे आसानी से नौकरी मिली हुई थी, तो किसी को  कमिटी में होने के कारन मोटी कमाई हो रही थी , तो किसी जगह निजी स्कूल की सहायता के नाम पर अपनी जेबे भरी जा रही थी तो कही नाम मात्रा के रेंट पर हजारो फ़ीट परिसर कागजो पर एक नंबर में देकर निजी संस्थान के मालिक को OBLIZED कर सरकार को चुना लगाकर खुद के काम निकलवाए जा रहे थे , तुम भी खाओ हम भी खाये की पालिसी पर जोर शोर से काम किया रहा था । आई आई टी के उच्च अधिकरियों को काटो तो खून न आये ऐसी थिति हो गयी , आखिर भारत सरकार होती कौन है हमको दिशा निर्देश देने वाली , हम शहंशाह है , ऑटोनोमस बॉडी की शक्ति है हमारे पास , शक्तिमान से भी ज्यादा बलशाली है हम , हमारे काली कमाई को यह लोग बन्द करवाना चाहते है।यह  सोच कर अंदर ही अंदर सभी आई आई टी जिनमे निजी स्कूल की दुकाने कई सालो से चल रही है ने विचार किया और आई आई आई टी दिल्ली में अगले ही महीने हुई आई आई टी कौंसिल की बैठक ( 23.08.2016) में सभी आई आई टी ने महाठगबंधन करके वर्तमान चौकीदार की आँखों पर पट्टी बांधते हुए यह दिशा निर्देश ले लिया की " आई आई टी कौंसिल यह सुझाव देती है की, सभी आई आई टी अपने परिसर में निजी स्कूलों को बन्द करे और केंद्रीय विद्यालय खोले । हालाँकि अंतिम निर्णय संबंधित आई आई टी के बोर्ड़ ऑफ़ गवर्नर (BOG)का होगा ।और इस बैठक की अध्यक्षता श्रीमान जावड़ेकर साहब ने की ।

  इस बैठक में दिए गए सुझाव जो की केंद्रीय विद्यालय खोलने का तो था पर आई आई टी मंडी जैसे Institutes ने गौर किया नहीं बल्कि एक पतली गली ढूंढ ली "हालाँकि अंतिम निर्णय संबंधित आई आई टी के BOG का होगा" और कैंपस में चल रहे निजी स्कूल को जारी रखा, और IIT Mandi ने   इस निजी स्कूल को चार एकर परिसर ( Approx 4 Acer) की ज़मीन 30-33 साल की लीज के साथ मुफ्त में (फ्रीफंड) दे दी और तो और अपने वही के कर्मचारियों के बीवियों को स्टाफ में लगवा दिया , इसके अलावा लाखो रुपये का हेर-फेर स्कूल के माधयम से किया और अभी भी जारी है , जिससे केंद्र सरकार को तो चुना लगा ही देश की आम जनता की जेब भी कटी ज रही है  ।
अब मंत्री जी को भारत सरकार की मौजूदा पालिसी के खिलाफ जाने की जरुरत क्या थी , उनकी क्या नीयत रही, क्या अनजाने में उन्होंने भारत सरकार की मौजूदा पालिसी के खिलाफ जाने के लिए आई आई टी को आज्ञा दे दी या सब कुछ सोची समझी साजिश के तहत हुआ है इसका खुलासा तो जाँच होने पर ही होगा ।

लेकिन इतना जरूर है जावड़ेकर साहब आप खुद को चौकीदार तो बोलते हो लेकिन आपकी फिरकी तो आई आई टी के अथॉरिटी ने ही ले ली, क्या आपको पता नहीं आई आई टी खरगपुर ने भी सो रुपये मासिक रेंट पर चार निजी स्कूल को ग्यारह एकर भूमि दे रखी है, वही आई आई पटना में, आई आई टी गुहवाहटी में भी निजी स्कूल के नाम पर  देश को खूब चुना लगाया जा रहा है, खेर इन चार पांच आई आई टी में ही नहीं और भी जगह निजी स्कूल खोलकर सरकार को चुना लगाया जा रहा है?  यदि पता नहीं तो आपको इस्तीफा दे देना चाहिए और यदि पता है और जानकर अपने कोई एक्शन नहीं लिया तो यह गंभीर जाँच का विषय है।


जो सर्कुलर श्रीमती तृप्ति जी ने निकला था जिसके तहत निजी स्कूल खोलना भारत सरकार की निति के खिलाफ है उसको पुनः: वापस भी नहीं लिया गया ।

बस इन्ही सब मुद्दों की जाँच के लिए हमने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को जाँच के लिए पुरे सबूतों  के साथ ३१ पन्नो की फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट दिनांक 26.01.2019 को भेजी जिसमे जावड़ेकर साहब, के साथ आई आई टी मंडी के निर्देशक और अन्य 13 लोग के नाम है, जिस पर दिल्ली पुलिस ने बताया की इस पर जाँच जारी है ।




सब्जी वाले से छोटी सी खुली दुकान के 300से 600  रुपये प्रतिमाह किराया और 4 एकर जमीन को फ्री?

आई आई टी मंडी में चल रहे स्कूल से नवंबर 2018 तक कोई किराया नहीं लिया जा रह था  जबकि उसको चार एकर भूमि स्कूल संचालन  के लिए 30-33 साल की लीज पर दे रखी है वही सब्जी वाले जैसे गरीब हिमाचली लोगो से छोटी सी सब्जी की दुकान संचालन के लिए आई आई टी बिलकुल भिखारी हो गया और उनसे मासिक किराया लेना इनको जरुरी लगा ।


क्यों जरुरी है केंद्रीय विद्यालय-


केंद्रीय विद्यालय आने से शीसखा का स्तर तो बढ़ेगा ही साथ में आस पास वाले लोगो के ऊपर आर्थिक लोड बहुत काम हो जायेगा , अभी आई आई टी  मंडी में चल रहे प्राइवेट स्कूल की फीस लगभग 40,000  रुपये से ज्यादा है वही केंद्रीय विद्यालय की फीस मात्रा 10,000 रुपये सालाना तक होती है , उसके बाद उसमे बालिकाओ के लिए विशेष छूट का प्रावधान भी होता है जो की आस पास वाले गांव के बच्चे आसानी से पढ़ सकते है, केंद्रीय विद्यालय होने के जो तमाम फायदे है उनकी किसी भी निजी स्कूल से तुलना नहीं की जा सकती ।


आई आई टी मंडी में क्यों नहीं लाना चाहते केंद्रीय विद्यालय -


आई आई मंडी के अधिकारियो के मतलबी रवैये से ही यहाँ के लोकल गरीब हिमाचल के लोगो को काफी नुकसान उठाना पढ़ रहा है, निजी स्कूल होने का सबसे बड़ा फायदा आई आई टी मंडी के अधिकारियो को ही है क्योकि यहाँ का मैनेजमेंट पूरी तरह से आई आई टी के हाथ में है , किसको नौकरी देनी है किसको नहीं , कितना फण्ड देना कितना नहीं आदि जबकि केंद्रीय विद्यालय आने से इनकी चवन्नी  तो क्या पांच पैसे की भी हेकड़ी नहीं चलती इसी कारन से अपने निजी स्वार्थ से ही इन्होने अच्छी और सस्ती  शिक्षा से सबको वंचित रखा । निजी स्कूल के माध्यम से अपने स्टाफ की पत्नियों को स्कूल में नौकरी दे रखी है चाहे वो इसके लायक हो या नहीं जबकि केंद्रीय विद्यालय में नौकरी सरकार अपने तरीके से निष्पक्ष होकर उपयुक्त को ही देती है । निजी स्कूल में स्कूल मैनेजमेंट कमिटी के नाम पर लाखो रुपये का हेर-फेर आई आई टी के द्वारा किया जाता जाता है जबकि केंद्रीय विद्यालय होने से इनके  लाखो रुपये के हेर फेर पर पूरी तरह से लगाम लगायी जा सकती है ।



आखिर बहुत सी खुबिया है केंद्रीय विद्यालय की जो आई आई टी  के उच्च अधिकरियों के तानासाही रवैये पर पानी फेरने के साथ साथ गरीबो का  भी भला करती है इसी लिए आई आई टी जैसे संस्थान भारत सरकार की नीतियों के खिलाफ होकर निजी स्कूल खोलना  चाहते है ताकि पीछे के गेट से लाखो रुपये अपनी तिजोरी में भर सके  । प्राइवेट स्कूल के खुलने से खुद की बीवियों को नौकरी के साथ साथ मोटी  कमाई भी होती है वही केंद्रीय विद्यालय को सरकारी भूमि पर ही नहीं होने से केंद्र सरकार को काफी नुकसान होता है, निजी स्कूल को कागजो में ढेरो रियायत देकर चुपचाप से अपनी जेब गर्म की जाती है  ।



क्या चुनाव के बाद हरकत में आएगी दिल्ली पुलिस- 


जनवरी माह की शिकायत पर चल रही जाँच पर कब तक करवाही होगी इसका अंदाजा तो अब चुनाव बाद ही पता चलेगा क्योकि चुनाव में यदि यह मुद्दा उठ जाता तो चौकीदार साहब को नुकसान उठाना पड़ सकता है इसलिए हम भी उम्मीद कर रहे है की चुनाव के बाद जरूर दिल्ली पुलिस इस पर  चल रही जाँच को आगे बढ़ाएगी , और नहीं तो अप्रैल माह में कोर्ट का दरवाजा तो है ही सही , जब तक चुनाव भी खत्म हो जायेंगे , हमे भी चौकीदार साहब के चुनाव से मतलब नहीं हमे तो न्याय चाहिए ठाकुर .....


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