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Showing posts from July, 2019

धन, दौलत और सच्चाई...

मन के कुछ विचार ... मरने पर पैसा भले ही साथ न जाये लेकिन यह सत्य है अंतिम साँस तक सिर्फ वो है जो आपको जिन्दा रख सकता है । "धन के पीछे मत भागो" कहने वाले लोग खुद भाषण देने से पहले अपनी मोटी फीस बता देते है "धन से कुछ नहीं होता, असली दौलत सिर्फ परिवार है" यह लाइन सुनने और पढ़ने में ही अच्छी लगती है, महंगी साडी, बच्चो की स्कूल फीस और उनके शोक पुरे न हो तो वो ही परिवार आपको खाने दौड़ता है धन ही सब कुछ नहीं है, लेकिन धन है तो बहुत कुछ है और धन ही नहीं तो कुछ भी नहीं इंसान के विचारो की नहीं, इज्जत उसकी जेब की होती है कुनबे और खानदान में सम्मान उसे मिलता है,जिसका समय अच्छा होता है जिसके पास दिखाने के नोट होते है, उसके सारे खोट नोट के पीछे छिपे होते है वजन इंसान का नहीं, उसके अकाउंट में पड़े धन का होता है सत्य वही कहलाता है जो वजन वाला इंसान कहता है बात उसी की सुनी जाती है, जो धनबल से सक्षम होता है आपकी बात में दम तब होगा, जब आपका पर्स दुसरो की अपेक्षा ज्यादा भारी होगा

आई आई टी मंडी से कोर्ट के द्वारा मांगे गए जवाब से क्या खुश होना चाहिए?

नियत साफ और हौसला बुलुंद हो तो लक्ष्य मुष्किल हो सकता है नामुमकिन नहीं, सवेरा तो अमावस की घनघोर रात के बाद भी होता है , सूरज तो घनघोर काले बादल के बाद भी निकलता है, हाँ ये जरूर है उस अमावस की रात में न जाने कितने साथ छोड़ जाते है , काले बादल के साथ गरजने वाली बिजली के डर से  हाथ अपने ही छिटक जाते है। न जाने कितनी शिकायते, न जाने कितने पत्र, न जाने कितने कॉल, मैसेज और ढेर सारे चक्कर काटने के बाद जब अंत में कोर्ट का सहारा लेना पड़ा तो बहुत थकान और निराशा सी  हो चुकी थी, होगी भी क्यों नहीं कही से भी हमारी मदद को कोई आगे नहीं आ रहा था, पुरे एक साल तक अलग-अलग मुद्दे पर जबरदस्त मीडिया ट्रायल होने के बाद भी प्रशासन न जाने कोन सी दुनिया में जा चूका था, सरकार के साथ विपक्ष को पातळ लोक में ढूंढा गया लेकिन जब मिला तो आँख नाक कान सब ख़राब अवस्था में उनके मिले ।    लगभग पुरे 15 महीनो, 50 से ज्यादा पत्र, ढेर सारे ईमेल  के बाद जब कोर्ट की और मुख करा तो सबने ही उम्मीद छोड़ दी थी की देश को लूटने वालो के खिलाफ कोई कारवाही होगी भी सही या नहीं ? लेकिन बस उम्मीद थी तो अनजान राज्य में बने चंद दोस्त हरी