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आई आई टी मंडी से कोर्ट के द्वारा मांगे गए जवाब से क्या खुश होना चाहिए?


नियत साफ और हौसला बुलुंद हो तो लक्ष्य मुष्किल हो सकता है नामुमकिन नहीं,
सवेरा तो अमावस की घनघोर रात के बाद भी होता है , सूरज तो घनघोर काले बादल के बाद भी निकलता है, हाँ ये जरूर है उस अमावस की रात में न जाने कितने साथ छोड़ जाते है , काले बादल के साथ गरजने वाली बिजली के डर से  हाथ अपने ही छिटक जाते है।

न जाने कितनी शिकायते, न जाने कितने पत्र, न जाने कितने कॉल, मैसेज और ढेर सारे चक्कर काटने के बाद जब अंत में कोर्ट का सहारा लेना पड़ा तो बहुत थकान और निराशा सी  हो चुकी थी, होगी भी क्यों नहीं कही से भी हमारी मदद को कोई आगे नहीं आ रहा था, पुरे एक साल तक अलग-अलग मुद्दे पर जबरदस्त मीडिया ट्रायल होने के बाद भी प्रशासन न जाने कोन सी दुनिया में जा चूका था, सरकार के साथ विपक्ष को पातळ लोक में ढूंढा गया लेकिन जब मिला तो आँख नाक कान सब ख़राब अवस्था में उनके मिले ।   

लगभग पुरे 15 महीनो, 50 से ज्यादा पत्र, ढेर सारे ईमेल  के बाद जब कोर्ट की और मुख करा तो सबने ही उम्मीद छोड़ दी थी की देश को लूटने वालो के खिलाफ कोई कारवाही होगी भी सही या नहीं ? लेकिन बस उम्मीद थी तो अनजान राज्य में बने चंद दोस्त हरीश, लव, टेक चंद, प्रवीण जैसे हिमाचली भाइयो और संस्थान के ही अंदर कुछ ईमानदार कर्मचारियों से  जिन्होंने हमेशा  मेरा हौसला बढ़ाया और आखिर कल 11 जुलाई 2019 को हमारे वकील साहब के पक्ष को सुनते हुए माननीय कोर्ट ने आई आई टी से जवाब तलब कर ही लिया। पिछले साल इसी महीने की 3 जुलाई को मेने सरकार के रवैये से रुष्ट होकर मंडी के प्रसिद्द सेरी मंच पर अपना मुंडन करवाया था उसके बाद सांसद साहब ने इस मामले की जाँच के लिए लोकसभा में अपनी आवाज बुलुंद की और जावड़ेकर साहब से भरपूर वैसा आश्वासन लेकर आये  जैसा मुझे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री साहब ने दिया था जब मेरी उनसे सर्किट हाउस में मुलाकात हुई थी ।


कल के दिन जो कोर्ट में हुआ वो वाकई सुखद खबर लेकर आया उन सभी लोगो के लिए जो टक-टकी लगाकर मेरी और देख रहे थे, उन सभी लोगो में एक बार फिर से उम्मीद की किरण जग चुकी है की अब बहुत कुछ होगा। हालाँकि क्या वाकई मुझे भी खुश होना चाहिए? यही सवाल बार बार मेरे अपने मन में उछल उछल कर आ रहा था जिसका जवाब मेने दिया की है उन सभी लोगो के लिए खुश होना चाहिए जो अभी भी इसी उम्मीद में थे की कुछ तो अच्छा होगा और दुखी उन लोगो के लिए जो मानते है मेरा देश बदल रहा है, उन सभी लोगो के लिए जो  "में भी चौकीदार और अब होगा न्याय" की पट्टी बांधे घूम रहे है । उन लोगो को बताना चाहता हु की इतने सारे सबूत के साथ देश में उपस्थित सीबीआई,CVC, पुलिस, एंटी करप्शन , मंत्रालय आदि हर एक दरजवाजे को खटखटाने के बाद भी न तो कोई चौकीदार जगा न ही न्याय-न्याय चिल्लाने वाले अपने बिल में से बाहर आये , तो किसके लिए हम आपस में लड़ रहे है ? सीबीआई, ED,CVC यह सब अब सिर्फ राजनैतिक दुश्मनी निकलने के लिए कार्य कर रही है  ।



क्या वाकई मेरा देश बदल गया है जहां डिजिटल युग में इतनी सारि शिकायते करने के बावजूद भी अधिकारी , मंत्री  और प्रशासन सब अंधे, गूंगे और बहरे हो चूका है , देश के ही पैसे और देश के ही संस्थान को न्याय दिलाने के कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़े? जब मेने इस मुद्दे को उठाने के लिए अपने घर वालो से बगावत की, मात्र 30  साल की उम्र में अपनी सरकारी नौकरी को साइड कर दिया सिर्फ इसलिए की देश को सुधारने  में मेरा क्यों योगदान नहीं हो सकता, क्यों इस भ्रष्टाचार को में ख़त्म नहीं कर सकता ? कब तक हम अपने अंदर डर को पालते रहे की कोई तो आएगा जो सब कुछ ठीक कर देगा ? तब मेरे एक हिमाचली पत्रकार मित्र ने बताया भाई कुछ नहीं हो सकता आपको न्याय मिलेगा तो सिर्फ कोर्ट से। में उसको बोलता रहा नहीं भाई अब देश में बदलाव आ गया है ,  सिर्फ ऊपर तक बात पहुंचने की देर है और फिर सब कुछ ठीक हो जायेगा  मेरे मित्र ने फिर कहा की भाई आपकी सोच बहुत सही है लेकिन हकीकत कुछ और है ।


मेने उसकी बात नहीं सुनी और निकल पड़ा बंद आंख वाले चौकीदार को सबूत दिखाने जो कहता रहता था ," हम हर उस नौजवान के साथ खड़े है जो देश निर्माण में योगदान देना चाहता है । निकल पड़ा में एक पागल की तरह अकेला ही अपनी मस्ती में की इतने सबूत होने के बाद जो कारवाही होगी वो सबके लिए एक मिसाल होगी और वाकई मिसाल कायम हुई जब जवाब मुझसे माँगा गया और 11 जनवरी को जॉब से लात भी मार दिया गया।

वाकई यह इनाम काफी है मुझे यह दिखाने के लिए की कल कोर्ट से जो आर्डर पास हुआ उसमे खुश होने की जरूरत नहीं है मुंगेरीलाल ।

जब भी हम राज्य सरकार के पास जाते और कहते की आपके क्षेत्र में यह गलत हो रहा है , हिमाचल जैसी पवित्र भूमि पर यह पाप हो रहा है तो, हर बार राज्य सरकार और उसके विभाग हमारे जाते ही गेट बंद कर लेते और "बोलते बाबा आगे जाओ, यह हमारे कार्यक्षेत्र के बाद है " और जब हम जिनके कार्यक्षेत्र में था उनके पास जाते तो वो हमको ऐसे देखते जैसे हम कोई दूसरे गृह से आ गए हो " हमारे पत्रों को फूटबाल की तरह एक विभाग से दूसरे विभाग में फेका जाने लगा और हम दुखी मन से देखते रहते की काश कोई अधिकारी अपनी जिम्मेदरी और कर्तव्य समझे  । राजनेता से लेकर अधिकारियो तक सब के रंग देख लिए , बस देश को सुधारने की बात जो होती है सिर्फ भाषणों में होती है वोट पाने के लिए । हिमाचल प्रदेश सरकार से पूछना चाहता हु , यदि को कारवाही आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं भी है तो तो आपकी पवित्र भूमि को बचने के लिए आपका फर्ज नहीं बनता की केंद्र सरकार से बात करे आप ?



न जाने कितने मेरे जैसे कर्मचारी, लोग है जो देश को बदलना चाहते है लेकिन देश में उच्च स्थानों पर बैठे राजेनता और अधिकारी खुद देश को खोखला करने में लगे है । लानत है मुझे उन सभी अधिकारियो पर जिनकी वजह से हर इंसान को कोर्ट की और देखना पड़ता है और कोर्ट में कसो की संख्या बढ़ती जा रही है ।

2013 से 2018 तक लघभग 1 लाख शिकयतें दर्ज हुई थी मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पास सिर्फ शिक्षण संस्थानों  के खिलाफ, और उनका हुआ क्या किसी को नहीं पता  ।

मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं की मुझे शर्म आती है इस देश में रहते हुए जहां का सिस्टम पूरी तरह से खत्म हो चूका है और इनको खत्म करने में पूरा योगदान है तमाम झूठे राजनेताओ का अधिकारियो का वरना हमारे जैसे अनेक दीवाने बैठे है जो सच्चाई के रास्ते को छोड़ना नहीं चाहते लेकिन हम जेसो को इनाम में मिलता है या तो टर्मिनेशन या फिर ......


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