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देव भूमि हिमाचल को मिला "कृष्ण भक्त" सादगी और परोपकार के धनि निर्देशक आई आई टी मंडी के लिए,बहुतो के पेट में हो रहा दर्द

हिमाचल आई आई टी मंडी को लगभग 2 वर्षो बाद पुर्णकालिन निर्देशक मिल ही गया है. इससे पहले आई आई टी मंडी में निर्देशक श्री टिमोथी ऐ गोनसाल्वेस थे जिन्होंने 10 वर्षो से भी ऊपर आई आई टी मंडी में निर्देशक के पद पर कार्य किया था. 
उनके कार्यकाल के समय कई कोर्ट केस भी हुए, घोटालो के आरोप लगे जो अभी तक उच्च न्यायलय में विचाराधीन है. अब आई आई टी मंडी जो की देव भूमि हिमाचल के सबसे बड़े जिले मंडी में स्थित है, को एक दशक बाद दूसरा, नया पूर्णकालिक निर्देशक मिला है जिनका नाम  श्री "लक्ष्मीधर बेहेरा"है.किन्तु यह दुखद है की उनके निर्देशक नियुक्त करने की घोषणा के बाद एवं पद ग्रहण करने से पूर्व ही उनको बेवजह की कंट्रोवर्सी में खींच लाया गया और एक एजेंडा के तहत नरेटिव सेट कर दिया गया . 
यह इसलिए हुआ क्योकि वो तिलकधारी है, श्री कृष्ण के उपासक है,सेवा भावी है , छल कपट, आडम्बर से दूर है. सूट-बूट, कोट-पेंट के बजाय कई बार धोती एवं सादा सा कुर्ता पहन, गले में तुलसी माला धारण कर अपने कर्मो का निर्वहन करते है.   
 प्रोफ बेहेरा के बारे में थोड़ा सा जान ले...

प्रोफ बेहेरा आई आई टी कानपूर के इलेक्ट्रिकल ब्रांच में प्रोफेसर है. इन्होने पीएचडी आई आई टी दिल्ली से जुलाई 1996 में तथा पोस्ट डॉक् जर्मन नेशनल सेंटर फॉर इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी से जनवरी 2001 में पूरी की.प्रोफ बेहेरा का एरिया ऑफ़ स्पेशलाइजेशन  रोबोटिक्स एंड आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस है. प्रोफ बेहेरा आई आई टी कानपूर में इंटेलीजेंट सिस्टम्स एंड कण्ट्रोल लेबोरेटरी (ISCON LAB) के हेड है. 1988 में उन्होंने राउरकेला से अभियांत्रिकी में बीएससी पूरी की थी. 
प्रोफ बेहेरा दिसम्बर 2010 से प्रोफेसर है तथा 307 पब्लिकेशन,32 डाक्टरल स्टूडेंट, 30 प्रोजेक्ट तथा 65 से ज्यादा पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट को गाइड कर चुके है. तकनिकी शिक्षा में उच्च कोटि प्राप्त तथा साथ ही उनका अकादेमिक अनुभव बहुत ही शानदार है. इन सबके अलावा सबसे रोचक बात यह है की वो धार्मिक है. श्री कृष्ण और श्रीमद भगवत गीता के उपासक है. उनका ईश्वर के प्रति जुड़ाव उनको हिमाचल जैसी देवभूमि के लिए सबसे उपयुक्त माना जा सकता है. यह भी हर्ष का विषय है की जिस आई आई टी से वो आ रहे है उसमे पहले से केंद्रीय विद्यालय है और ऐसा सुना है की उनकी पुत्रिया खुद केंद्रीय विद्यालय की छात्रा है अत: अब यह पूरी उम्मीद है की वो कमांद कैंपस में केंद्रीय विद्यालय खोलने में रूचि रखेंगे. 

प्रोफ बेहेरा अपनी तकनिकी योग्यता में श्रेष्ठ तो है ही साथ ही उतने ही धार्मिक भी. यह ही लोगो को पच नहीं रहा. अधिकतर न्यूज़ आर्टिकल के द्वारा आई आई टी मंडी के नए निर्देशक  के रूप में चयनित किये हुए प्रोफ बेहेरा की योग्यता पर ज्यादा फोकस नहीं किया जा रहा बल्कि उनकी निजी जिंदगी की वर्ष 1993 की घटना के ऊपर ध्यान आकर्षित किया जा रहा है और उनकी छवि ख़राब करने के लिए यह एक नरेटिव बनाया जा रहा है की "श्लोक एवं मंत्रो के उच्चारण से भूत बाधा दूर करने, श्रीमदभगवत गीता के अभ्यस्त, तिलकधारी व्यक्तित्व के धनि अब आई आई टी जैसे तकनिकी शिक्षा के निर्देशक होंगे. वो विद्यार्थियों को क्या शिक्षा देंगे और संस्थान को किस दिशा में लेकर जायेंगे." विद्यार्थियों के साथ-साथ अन्य लोगो में यह धारणा बनाई जा रही है कि देश में अब ऐसे लोग तकनिकी शिक्षण संस्थाओ के निर्देशक होंगे. ऐसा प्रोपगोडा फैलाया जा रहा है कि अब तो संस्थान का बंटा ढार ही हो जायेगा .

जबकि हकीकत इससे कोसो दूर है. वास्तव में उनको यह स्वीकार नहीं की एक कृष्ण भक्त भी आई आई टी जैसे संस्थान का निर्देशक बन सकता है. प्रत्येक मीडिया में उनके द्वारा वर्ष 1993 में उनके मित्र के परिवार की भूत बाधा को मंत्रोउच्चारण के माध्यम से दुरुस्त करने की खबर बताई जा रही है जिसे उन्होंने 6-7 महीने पहले किसी यू ट्यूब चैनल पर वीडियो के माध्यम से बताया था. यदि प्रोफ साहब कृष्णा के उपासक है तो इसमें क्या गलत है? क्या पूर्व निर्देशक प्रोफ टिमोथी ए गोंसाल्वेस चर्च में फादर का चोला पहन कर अपने धर्म के लिए उपदेश नहीं देते थे,हर क्रिसमस पर वो घर को सजा कर पार्टी करते थे, तब सभी बुद्धिजीवी गर्व से मेरी क्रिसमस बोल कर गर्व महसूस करते थे, तब तक सब ठीक था. जब किसी के पेट में दर्द नहीं हुआ. उसके अलावा आज भी कई शिक्षण संस्थानों , आई आई टी मंडी में ही बड़ी-बड़ी दाढ़ी रखकर फैकल्टी मेंबर मुस्लिम छात्र माइंड ट्री स्कूल के पीछे हर शुक्रवार आई आई टी मंडी की ही बस से ही बस भर कर अपने धर्म की टोपी लगाकर मस्जिद/दरगाह में जाते है तब किसी को कोई  दिक्कत नहीं होती.

प्रोफ बेहरा एक योग्य व्यक्ति है. आई आई टी का निर्देशक नियुक्त होने के लिए जो भी न्यूनतम योग्यता होती है जैसे की दस वर्ष प्रोफेसर के पद पर होना आदि को वो बहुत ही अच्छे तरीके से पूरी करते है.. इसलिए उनकी योग्यता पर सवाल तो उठा नहीं सकते इसलिए कीचड उछालने का दूसरा तरीका ढूंढ लिया गया.किसी भी आर्टिकल या आलोचक ने यह नहीं बताया की कोरोना की पहली लहार में जब पूरा देश घरो में कैद था तब प्रोफ बेहेरा ने आई आई टी कानपूर की मेस में जाकर जरूरतमंद लोगो के लिए खाना तैयार किया था. वो भी एक दिन नहीं कई कई दिनों तक.

उस समय प्रोफ बेहेरा समाज के लिए सामने आकर मदद कर रहे थे जब अन्य आईआईटी एनआईटी या उच्च शिक्षण संस्थान या उच्च वैज्ञानिक लोग अपने घरो-घरो  में दुबक गए थे चूहे की तरह, महीनो तक वर्क फ्रॉम होम लेकर आराम फरमा रहे थे.कितने आई आई टी , एन आई टी आदि के प्रोफेसर थे जिन्होंने निस्वार्थ कोरोना काल में सेवा की ? कुछ के नाम बता दो ? क्या यह नहीं सोचना चाहिए की ऐसे प्रोफेसर जो उच्च तकीनीक शिक्षाधारी के साथ भारतीय संस्कारो के धनि है, वो किस तरीके से विद्यार्थियों को आगे समाज के उद्धार के लिए प्रेरित करेंगे ?   

इस देश अब ऐसा माहौल बना दिया गया है की हिन्दू धर्म के उपासक को किसी भी बड़े वैज्ञानिक पद पर देखने से लोगो के सीने पर सांप लौटने लगते है और जो आर्टिकल न्यूज़ में बताया जा रहा है वो यूँ ही नहीं आया है. यह साजिश के तहत है. क्योकि 7 महीने पुराना वीडियो वो भी जो उनकी निजी जिंदगी के विचार है जिसका तकनीकी शिक्षा से कोई लेना देना नहीं, उनके द्वारा एक यू ट्यूब चैनल पर अपलोड किया है ताकि उपासको को श्रीमद्भागवत गीता की शक्ति का एहसास कराया जा सके है, के आधार पर प्रोफ बेहरा की काबिलियत पर सवालिया निशान खड़ा किया जा रहा है.और इसमें क्या गलत कहा उन्होंने की काली शक्तिया होती है ? कोनसा धर्म है जो यह कहता है की काली शक्तिया नहीं होती ? यह किस धर्म,शास्त्र, ग्रंथ, संविधान में लिखा है कि आप यदि उच्च पद पर आसीन हैं तो अपने धर्म की उपासना करना बंद कर दें या भगवान, देवी एवं काली शक्तियों को मानना बंद कर दें. किसी भी व्यक्ति कि योग्यता एक अलग विषय है और धर्म के प्रति आस्था एक अलग विषय. उन दोनों को एक दूसरे के विपरीत समझना यह इंसान कि सबसे बड़ी मूर्खता है.इस्लाम,ईसाई धर्म आदि में काली शक्तियों को नाकारा गया है क्या?यह क्यों उम्मीद लगाई जाती है कि एक पढ़े लिखे व्यक्ति को इनके बारे में बात नहीं करनी चाहिए.

विश्व में "पैरा-नॉमल एक्टिविटी" के नाम से इस भूत बाधा को जाना जाता है. भारत में नहीं बल्कि ब्रिटैन की एक यूनिवर्सिटी में तो इसके लिए कोर्स भी करवाय जाता है.


इसके अलावा रिसर्च तक में यह सिद्ध हो चूका है जिसका लिंक यह रहा.


पुरे विश्व में इस बात को माना जा चूका है की काली शक्तिया है लेकिन हिन्दू धर्म के उपासक ने जो तकनिकी क्षेत्र में विशेष योग्यता भी रखता है और आई आई टी का निर्देशक बन चूका है उसने इसको स्वीकार किया इस बात ने इनके अहम् को ठेस पंहुचा दी. जिस आई आई टी मंडी में प्रोफेसर बने लोग झूठे गूगल स्कॉलर से अपनी ख्याति बनाते है, जिनके पेपर बार-बार रिट्रेक्ट होते है, जिन्होंने कभी रेगुलर कॉलेज नहीं देखा और सुपरिन्टेन्डेन्ट बनकर बैठे है, जो लोग नियमो की धज्जिया उड़ा कर असिस्टेंट रजिस्ट्रार बन बैठे ..न जाने कितने ऐसे रिक्रूटमेंट हुए लेकिन किसी के ऊपर इन लोगो का मुँह नहीं खुला लेकिन एक हिन्दू धर्म के उपासक का योग्यता के दम पर  का इनके ऊपर आना इनको रास नहीं आ रहा, क्योकि अब शायद जिस तरह से पहले रामलीला के नाम पर हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाया गया था अब नहीं हो पायेगा यह इनसे देखा नहीं जायेगा. केंद्रीय विद्यालय खुलने रास्ता साफ हो जायेगा जो इनके दो नंबर की कमाई को तुरंत बंद कर देगा इसलिए यह दुखी है.            

खेर अब हिमाचल देव भूमि के लोगो को खुश होना चाहिए की 10 वर्ष बाद उनकी पवित्र भूमि पर स्थित आई आई टी मंडी संस्थान में एक योग्य निर्देशक आया है. उम्मीद करता हु की वो अपने विज़न के साथ अनियिमतताओ के ऊपर संज्ञान लेंगे. वरना हमारी लड़ाई तो जारी रहेगी ही.

प्रोफ बेहेरा तकनिकी शिक्षा के साथ धर्म का अनूठा मिश्रण है. वो श्रीमदभगवत गीता की शक्तियों के बारे में लोगो को जागरूक करते है. वो सत्य है कि गीता में ब्रम्हांड की हर समस्या का समाधान है,यदि शांति की और बढ़ना चाहते हो तो श्रीमद्भगवत गीता ही एक मात्र समाधान. हाँ मुझे यह मानने में कोई संकोच नहीं की वो उस ईश्वर के उपासक है जो परम पिता परमेश्वर है.मैं खुद एक मनोवैज्ञानिक डॉक्टर के दिशा निर्देश में मनोवैज्ञानिक कॉउंसलर का काम कर रहा हु जो श्रीमद्भगवत गीता के बहुत बड़े उपासक है और उसके भावार्थ से विद्यार्थियों के तनाव एवं अन्य समस्याओ को निपटने का कार्य कई वर्षो से कर रहे है. श्रीमद्भगवत हर व्यक्ति कि समस्या का समाधान कर सकती है है एवं उसको मोक्ष कि और अग्रसर करती है. प्रोफ बेहेरा ने वो सत्य जाना है और उसको अब युथ को अवगत करवा रहे है.उन्होंने विज्ञान एवं अध्यात्म के बीच में सामजस्य बिठाया है और एक दूसरे का पूरक नहीं बल्कि दोनों का मनुष्य के जीवन में महत्व बताया है.

भारत में ही नहीं विश्व भर में श्रीमद्भगवत गीता के लाखो उपासक है जो इस सत्य को पहचान चुके है.

जय श्री कृष्ण 
#I_SUPPORT_PROF_BEHERA
#BLACK_POWER_EXISTS 

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