गत दिनों कोटा के तलवंडी स्थित एक घर ने बाहर लगे बिजली के खम्बे में हो रही स्पार्किंग से आग पकड़ ली, जिससे मकान मालिक गायत्री देवी का लाखो रूपए का नुकसान तो हुआ ही वो मानसिक तनाव में भी आ गयी, और आये भी क्यों न किसी के सामने उसका घर जल जाये यह एक अपने आप में एक बहुत ही बड़ा हृदय हिदारक दृश्य होता है, लेकिन उस घटना में एक बहुत ही अच्छी बात यह रही लाखो रुपये का सामान तो जल गया लेकिन इंसानियत जिन्दा रही और इसी वजह से वहां पर आश्रय लिए हुए एक संस्था के 37 बच्चो को गायत्री देवी के पुत्र एवं जाने माने समाजसेवी हिम्मत सिंह हाडा ने पड़ोसियों के सहयोग के साथ बचा लिया, जिससे कोटा के ऊपर कोई दाग सूरत जैसा नहीं लग पाया। लेकिन इस कलयुगी राजनीती में इंसानियत को 2 दिन बाद ही गला घोंट कर मार दिया जब गायत्री देवी के घर बिना किसी सुचना के पुलिस पुरे जाब्ते एवं अधिकारियो के साथ आ धमकी और उनको पुरे परिवार सहित उनके ही घर से बेदखल कर दिया । एक बूढ़ी माँ, उनकी गर्भवती बेटी, 2 बेटे, पुत्रवधु एवं छोटे छोटे बच्चो को प्रशासन ने रोड पर ला दिया वो भी बिना किसी सुचना के, बिना किसी नोटिस के और कारण बताया गया की सालो पहले बना हुआ यह घर "अवैध" है । उस दिन गन्दी राजनीती के सामने घुटने टेकते हुए कोटा के दामन पर जो दाग लगा वो वाकई चिंताजनक है । उस दिन वाकई इंसानियत की निर्मम हत्या कर दी गयी क्योकि तानाशाही रवैये ने गायत्री देवी को बिना नोटिस दिए पुरे परिवार सहित खुद के ही सालो पहले बने हुए घर से बेदखल कर दिया और उनकी सुध तक नहीं ली। जहाँ छोटे छोटे नुकसान में प्रशासन की और से सांत्वना के नाम पर लाखो रुपये की मदद की जाती है वही कोटा में धूर्तता का परिचय देते हुए उल्टा पीड़ित परिवार को घर से बेदखल कर दिया । जाने कितने अतिक्रमण को हटाने के लिए यही अति मुस्तैद प्रशासन पहले नोटिस देता है उसके बावजूद हटाने जाता है और कई बार तो मुँह की खाने के बाद आ जाता है और थक हार कर उस अतिक्रमण वाली जगह के पट्टे देकर उन जगह को वेध घोषित कर देता है। लेकिन प्रशासन की सारी मुस्तैदी सिर्फ गायत्री देवी को परेशां करने में ही देखि गयी और इसका कारण उनके बड़े सुपुत्र का कोटा की धरती पर बिना किसी दबाव के राजनीति में बढ़ाता कद है । ऐसा कहा जा रहा है की राजनैतिक द्वेषता की वजह से यह आकस्मिक और आपातकालीन जैसा निर्णय उनको और परिवार को परेशां करने के लिए लिया गया है । हिम्मत सिंह कई समय से कोटा में बिजली देने वाली निजी कंपनी के खिलाफ आंदोलन कर रहे है गत वर्ष भी उनके इस आंदोलन की आग पुरे कोटा में लगी थी जिस वजह से कंपनी को कई निर्णय बिना किसी शर्त के वापस लेने पड़े थे , उनमे से हॉस्टल में कमर्सिअल चार्जेज वाला और स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य रोकना अति महत्वपूर्ण रहा। कमर्सिअल चार्जेज न लगा पाने से कंपनी के शुद्ध लाभ में करोड़ो का नुकसान तो हुआ ही, साथ ही स्मार्ट मीटर न लगा पाने की वजह से डेड स्टॉक में पड़े स्मार्ट मीटर का व्यय भी कंपनी को भुगतना पड़ा । आम जन में यह राय है की हिम्मत सिंह के द्वारा गत जो आंदोलन की आग लगायी गयी थी उसी की चिंगारी ने हिम्मत सिंह/ गायत्री देवी का घर जलाया है ।
48 घंटे भी नहीं लगे और आ गयी जाँच रिपोर्ट-
घटना के बाद जिस तरह से प्रशासन घटना के पीछे कारणों की जांच करता है उसी तरह गायत्री देवी के घर में लगी आग की जाँच के लिए भी कमिटी बनाई गयी, जहां महीनो तक जाँच रिपोर्ट नहीं आती, वही इस घटना की जाँच सीबीआई से भी फ़ास्ट हुई, हो सकता है यह जाँच पुरे देश में सबसे त्वरित हो और इसके लिए कमिटी को भारत रत्न से सम्मानित भी करना चाहिए। जाँच रिपोर्ट में गायत्री देवी के घर के अंदर ज्यादा और अव्यवस्थित लोड को कारण बताया। जाँच में पुरे तरीके घर के बाहर लगे ट्रांसफार्मर, खम्बे में हुई स्पार्किंग को नजर अंदाज कर दिया गया, जाँच रिपोर्ट से तो प्रतीत हुआ हो की सब कुछ पहले से तय था।
लोड में थी प्रॉब्लम तो घर को क्यों बताया अवैध ?
चलो मान भी लिया जाये की बिजली के लोड में दिक्कत थी तो फिर भी प्रशासन ने गायत्री देवी के सालो पुराने निर्माण को अवैध कैसे करार दिया, जबकि लोड और घर निर्माण में तो कोई लिंक ही नहीं है। और यदि घर अवैध तरीके से बना हुआ है तो यह प्रशासन की बहुत बड़ी नाकामी है की इतने सालो तक क्यों आंख बंद करके बैठा रहा? और क्या पुरे कोटा में सिर्फ गायत्री देवी का ही घर अवैध तरीके से बना हुआ है ? खेती की जमीन पर बनाये गए कुन्हाड़ी और बोरखेड़ा में ऊँचे-ऊँचे हॉस्टल कैसे वेध हो सकते है ,जिनका न तो UIT में, न ही नगर निगम में कोई रिकॉर्ड है, तलवंडी में न जाने कितने घर है जिनमे कोई सेट बैक नहीं है न ही उनका नक्शा पास है फिर वो घर कैसे वेध हो गए ?
प्रशासन के यह कदम पूरी तरह से गन्दी राजनीति की और इशारा करते है । चालो ये भी मान लिया की उनका घर रातो-रात अवैध हो गया लेकिन तब भी मानव अधिकारों के तहत उनको इस बाबत नोटिस देकर उनसे जवाब माँगा जाता और उनको बताया जाता की यदि समय सीमा के अंदर कोई जवाब नहीं आया तो आपका घर सीज़ किया जा सकता है, लेकिन प्रशासन ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाना भी जरुरी नहीं समझा, ऐसा आनन् फानन में किसी के दबाव में सरकारी महकमा कार्य कर रहा था यह तो कोई नहीं बता सकता लेकिन यह तो तय है मानव अधिकारी के हनन का सबसे बड़ा उदहारण है गायत्री देवी के ऊपर हुई कारवाही जिसकी वजह से कोटा के दमन पर जो दाग लगा है वो कभी नहीं धूल सकता। गायत्री देवी आज भी पुरे परिवार सहित घर के बाहर बैठी इंतजार कर रही है की कोई अंतरी मंत्री आएगा और सच्चाई को देखेंगे लेकिन आज 15 दिन होने के बाद तक किसी ने सुध नहीं ली, खेर कोटा निवासी हिम्मत सिंह के पक्ष में जरूर पैदल मार्च कर रहे है लेकिन देखना यह है की क्या गन्दी राजनीती का शिकार हुआ इस परिवार को जल्द इंसाफ मिल पायेगा ? और मिल भी गया तो जो अत्याचार इनके ऊपर करे है उसका भरपाई कोई कर कैसे कर सकेगा ? जहां १ जुलाई से बच्चो के स्कूल खुल रहे है वही गायत्री देवी के पोते स्कूल जा पाएंगे ?
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