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आई आई टी की लाचारी पर चुप रहने वालो, अगला नंबर आपका है...

देव भूमि, मंडी शहर में शांत वातारवरण की आगोश में चल रहे आई आई टी मंडी को वही के कुछ गद्दारो ने बीमार कर दिया, आई आई टी मंडी लहूलुहान स्थिति में बिना आंखे टिमटिमाये देखता रहा कोई तो भूमि का कर्ज चुकाएगा, देव भूमि पर मुझे लाने वाले मेरी आबरू को लूटते नहीं देख पाएंगे जरूर वो वक्त आएगा जब इन गद्दारो को सबक सिखाया जायेगा और पूछा जायेगा की ,देव भूमि पर तुमको अपने आंचल में पालने वाली आई आई टी के दामन को तुमने क्यों अपने पैरो तले रोंदा है ?     


लेकिन अफ़सोस हिमाचल के निवासियों ने तो जैसे आई आई टी मंडी से नाता ही तोड़ लिया हो , उनको तो मतलब ही नहीं आई आई टी से । में पूछना चाहता हूँ उन हिमाचली लोगो से जो छुप छुप कर मुझे फोन करके मदद मांगते है और बोलते है की आई आई टी के गदारो को आप ही सबक सिखवा सकते हो, क्या वो अपने हिमाचल के लिए कुछ करेंगे या सिर्फ अपने स्वार्थ के पैरो तले दबे होकर बाहरी लोगो से ही मदद मांगते रहेंगे ? चाहे मुद्दा गरीब सुरक्षा कर्मियों जिनसे 5000 रुपये तक का फाइन ( हफ्ता वसूली)का हो या उनको डरा कर ट्रांसफर कर चंडीगढ़ भेजने का, टुच्चा सिंह जी आप तो शर्म ही कर लो, जब देवांग साहब कॉलेज में थे तो कैसे आकर हर बात उनको बताते और अपने हक़ के बोनस की डिमांड करते थे यहाँ तक सभी बिचारे भोले सुरक्षाकर्मियों को एक जुट कर कागज पर हस्ताक्षर भी करवा लिए थे, जब अमर उजाला में खबर आयी थी तो भागे भागे मेरे पास आये थे की " सर कुछ होगा तो नहीं' तब में राजस्थानी, सरकारी नौकरी में होते हुए भी निस्वार्थ आपके पक्ष में रहा की "आपको कुछ नहीं होने दूंगा ये मेरा वचन है।" और आज आप आई आई टी की इशारो पर नाचते हुए अपने उन्ही सुरक्षा कर्मियों को नाजायज परेशां कर रहे हो, उनकी मज़बूरी का फायदा उठा रहे हो, शर्म नहीं आती आपको, ईश्वर के पास भी जाना है और आप तो खुद देव भूमि से हो जो भगवान को बहुत मानते है, उनका डर भी खत्म हो गया ?

बाकि के आउट सोर्स कर्मी जिनका बोनस तक आई आई टी देने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय से पूछती है जबकि आई आई टी के उच्च अधिकारों खास तोर से जो वित्त विभाग देखते है खुद हिमाचल से है उनको भी पता है की आउट सोर्स पर निर्णय का हक़ आई आई टी का है, तब भी निर्देशक के सामने अपने नंबर बढ़ाने के लिए एक ऐसी गली ढूंढ कर मामला टाल देते है। अरे आप तो बूढ़े हो चुके हो, खुद के पास तो पेंशन के हजारो रुपये भी है खुद अपनी जिंदगी के अंतमि पड़ाव में है , भोले की भूमि पर होकर भोले का नाम लेने की बजाय हजारो रुपये की तनख्वा उठाने के लिए इस तरह उन हिमाचली का हक़ मार रहे हो जिनके लिए यह पैसा बहुत मायने रखता है , शर्म करो आप, जब अस्पताल में भर्ती हो जाओगे तो यह कर्म पीछा नहीं छोड़ेंगे। और जब आउट सोर्स के बोनस की बात आती है तो आप मंत्रालय का पल्लू पकड़ कर रोने लगते हो  जब निर्देशक महोदय का जन्मदिवस मानाने की हो तब क्या MHRD से परमिशन ली थी ? जब घोटाले करने हो , अपने चहेतो को लगाना हो, सैलरी बढ़ानी हो, अपनी पत्नियों को लगाना हो और मनचाहा पैसा देना हो तब तो आप सबको ऑटोनोमस की पावर याद आ जाती है ? जन्म से ही दोगले थे या गाँधी जी की हरियाली ने दोगला कर दिया ? आप लोग वो कपूत हो जो जरुरत पड़ने पर अपनी माँ को भी बेच दो   ।



में हर उस हिमाचली से पूछना चाहूंगा की, क्या आप लोगो ने कभी अपने मुख्यमंत्री से सवाल किया की साहब जैसे एयरपोर्ट देना भी आई आई टी की तरह केंद्र के विभाग में है फिर क्यों उछल उछल कर केंद्र से बात करते हो जबकि आई आई टी मंडी में हो रहे घोटालो पर आंख, नाक, कान, सब बंद कर बन्दर बन जाते हो और कहते  हो यह केंद्र का विषय है , मीडिया से मई 2018 में आपने ही कहा था न की केंद्र सरकार से बात करेंगे  और जो भी दोषी होगा उस पर सख्त कारवाही करवाएंगे?  चलो अब बता दो आपकी उस जुबान का सम्मान करते हुए  कितने फोन केंद्र को मिलाये या कितने पत्र लिखे ?


हिमाचलो लोग मौन क्यों है ? किस चीज का इंतजार कर रहे है वो ? या अपने रोना रोना मेरे सामने बंद कर देना या खुद अपने नेताओ से बात करो, कब तक यही तमाशा देखते रहोगे ? आई आई टी की लाचारी पर चुप रहने वालो, अगला नंबर आपका है यह मत भूलो

इन सरकारों को नहीं दीखता की इतनी शिकायते होने के बाद भी उन्ही लोगो का चयन हुआ जिनका नाम हम एक साल पहले दे चुके है , पविन, लिशमा,निशांत,कॉल सिंह, प्रतीक इसके अलावा कई ऐसे नाम थे जिनको हम जानते थे लेकिन उजागर नहीं किये। में उन उच्च शिक्षित दुष्ट महानुभावो से पूछना चाहता हूँ की आप जब पेपर आउट करते हो क्या अंतरात्मा नहीं धिक्कारती की हम किस के साथ गद्दारी कर रहे है ? हम कहा से पढ़कर आये है, या हम लोग यह मान ले की दसवीं क्लास से लेकर कॉलेज तक आपको भी इसी तरह पेपर मिलता रहा , और दूसरे ईमानदार बच्चो का हक़ आप मारते रहे इसीलिए आपको अब यह ठीक लगता है ? क्या आप भी इसी तरह इस मुकाम पर पहुंचे है, शायद, चटुकारता कर करके ही आप लोग यहाँ पहुंचे है वरना तो कई ऐसे लोगो को भी में आई आई टी में जानता हूँ जो अपने स्वाभिमान के लिए समझौता नहीं करते,  में भगवन से दुआ करूँगा की आपके बच्चो के साथ भी ऐसा ही हो, वो पूरी जी जान से मेहनत करे और मलाई खा जाये कोई और।

चन्दन से लेकर प्रतीक तक न जाने कितने लोग ऐसे अंदर चयन हुए शायद जिनका चयन सवालो के घेरे में है,
जूनियर असिसटेंट के हाल ही में हुए एग्जाम में तो एक हिमाचल की लड़की के लिए में बहुत दुखी है। लड़की आठवीं क्लास से लेकर कॉलेज तक हमेशा टॉपर रही, हिमाचल का एक तरह से गौरव रही 2013 से आई आई टी में आउट सोर्स पर जॉब कर रही है हर बार फॉर्म भरके दिन रात तैयारी करती और पिछले  तीन बार लिखित एग्जाम निकाल भी लिया जिसमे दूसरी बार वाले में तो ईमानदारी से टॉप भी किया लेकिन हर बार कोई गॉड फादर न होने पाने के कारण Intreview में बाहर कर दी गई, इस बार आई आई टी के ईमानदार लोगो को विश्वसास था की इस बार इसको कोई नहीं रोक सकता क्योकि वो जितनी पढ़ाई में होशियार थी उतना ही आई आई टी के कार्य में भी, लेकिन रिजल्ट के पहले ही मुझे बताया गया की जिस जिस ने फेसबुक पर पिछले साल मेरे आई आई टी के खिलाफ पोस्ट को लिखे और कमेंट किया था उनकी लिस्ट अभी खोल कर देखि गयी है और उसमे उस लड़की का भी नाम है इसलिए उसका चयन नहीं होगा। मुझे दुःख हुआ की किस तरह की नीचता की गयी है,और यह लिस्ट तैयार करने वाला वो ही बंदा है जिसने मुझे चन्दन के फॉर्म की लास्ट डेट निकल जाने वाली बात बताई थी , और तो और मुंडन के समय विक्टोरिया ब्रिज के पास मिलकर मुझे इस बन्दे ने बताया की उस समय वो भी उस एग्जाम में प्रतिभागी था इसलिए लास्ट डेट नहीं बड़ाई गयी थी,इसका उसको अच्छे ढंग से याद है क्योकि वो खुद उस समय ही आई आई टी मंडी में रेगुलर एम्प्लोयी बन जाता यदि चन्दन का फॉर्म लास्ट डेट की वजह से रिजेक्ट हो जाता । चन्दन के फॉर्म को गलत तरीके से चयन किया गया है , वो में जल्दी में था वरना उन महाशय ने तो मुझे बहुत सी सुचना देने के लिए अपने घर आने का न्योता दिया था क्योकि रोड पर बात करने में डर था उन्हें की कही किसी ने मेरे साथ द्देख लिया तो उनकी सच्चाई पता चल जाएगी,खेर आज यह सब इसलिए बता रहा हूँ की अब उस बन्दे की डबल क्रॉस करने की आदत से एक होनहार लड़की की नौकरी चली गयी, यदि आई आई टी चाहता है ऐसे विभीषण के नाम जानना तो मुझे बताये, में उनको नाम बताने को तैयार हूँ लेकिन उन पर कारवाही क्या होगी पहले ये बताये। खेर उस होनहार की जॉब खाने वाला सिर्फ यह चाटुकार नहीं और भी उच्च पद पर आसीन बहुत ज्यादा पढ़े लिखे भ्रष्ट लोग भी है जो शायद अपने आका के लिए हमेशा तोहफा कबूल हो बोल कर अपनी दुकान आगे कर देते है ।


खेर इस होनहार लड़की के साथ साथ उन सभी लोग भी उतने ही भागी है जितने की यह क्योकि गलत करने वालो के साथ साथ गलत सहने वाली भी अपराधी होते है, जो खुद के लिए नहीं लड़ पाते वो देश के लिए क्या खाक करेंगे ।

ईमानदार अधिकारियो को एक विभाग से दूसरे विभाग में लगा दिया वो चुप रहे, गलत लोगो का चयन पे चयन होता रहा वो सही लोग चुप रहे, ईमानदार अधिकारियो हर घोटाले से वाकिफ है लेकिन किसी की बोलने की हिम्मत नहीं होती, कुत्ते से एक हो जाते है लेकिन शेर कभी एक नहीं होते , सब भ्र्ष्ट हर जगह साथ है लेकिन दुःख की बात है ईमनादार लोग साथ नहीं आ पाते, में किस के लिए बार बार यह सब लिखता रहता हूँ मेरा कोई स्वार्थ है इसमें ?

अभी 20 जून जो जब निर्देशक महोदय का जन्मदिवस था तो निर्देशक महोदय के ऑफिस की ईमेल (DIROFFICE@IITMANDI.AC.IN) से पुरे स्टाफ और फैकल्टी को ईमेल आता है की शाम को पांच बजे जन्मदिवस मनाया जायेगा तो आप सभी आमंत्रित है और यह ईमेल डायरेक्टर की धर्मपत्नी की और से किया जाता है। संस्थान का समय सुबह नो बजे से शाम 5.30 तक का है तो क्या यह एक अपराध नहीं की आधे घंटे पहले आप सरकारी कर्मचारी को काम छोड़कर जन्मदिवस मानाने के लिए ईमेल करे और वो भी निर्देशक महोदय के ऑफिस ईमेल से ? कौन भरपाई करेगा उस आधे घंटे के दौरान सरकारी कार्य में हुई बाधा की और जो सैलरी उस समय उन लोगो को दी गयी ? इतना बड़ा अपराध आई आई टी मंडी में हो जाता है और कोई पूछता तक नहीं , 180 के लगभग आई आई टी में रेगुलर और कंट्रक्टुअल कर्मचारी कार्यरत है (आउट सोर्स को हटाकर) और लगभग 213 दिन संस्थान में एक कर्मचारी को कार्य करना होता है ( 15 PL,8 CL,10 मेडिकल लीव, 96 शनिवार-रविवार  और 23 के लगभग अवकाश ) अब यदि सभी कर्मचारी अपने जन्मदिवस की पार्टी शाम पांच बजे देने लग जाये तो 213 दिन में से सिर्फ 33 दिन ही पुरे समय कार्य हो पायेगा। इसके अलावा एक निर्देशक की ईमेल पर तमाम तरह की सरकारी अति सवेंदनशील सूचनाएं होती है, तो एक महिला किस तरह से उनकी ईमेल को उपयोग में ले सकती है ? यह तो निर्देशक महोदय के द्वारा ली गयी गोपनीयता की शपथ के खिलाफ है साथ साइबर क्राइम की श्रेणी में भी आता है। अब यदि कोई यह बोले की यह तो डायरेक्टर ऑफिस के कर्मचारी ने किया तो सवाल यह है की वो कर्मचारी प्रिस्किल्ला महिला के आदेशों को क्यों मानेगा, और वो भी ऑफिसियल मेल से? यदि किसी कर्मचारी ने किसी के कहने पर यह अपराध किया है तो सरकारी कर्मचारी के को पांच बजे कार्य छोड़ जन्मदिवस मनाने के लिए मजबूर करने के लिए वो ही पूर्णतया जिम्मेदार है? फिर तो आई आई टी के हर ऑफिस से उनकी धर्मपत्नी के आदेश पर मेल आने लग जायेंगे , आज पांच बजे का हो सकता है अगली बार 12 बजे से शाम 6 बजे तक का आये  । और उसके बाद पार्टी में खर्च हुआ 60 हजार रुपये किसकी जेब से कटा गया यह भी पता चलना चाहिए ।

खेर छोड़िये यहाँ किसको पड़ी है साहब, "अंधेर नगरी चौपट राजा, ताका सेर भाजी ताका सेर खाजा" हो रहा है हिमाचल में तो , किसी को नहीं पड़ा की आई आई टी के घोटालो से नुकसान किसका हो रहा है, विपक्ष तो पटल लोक में जाकर सो गया है , हिंदी लोकल मीडिया ने खूब प्रयास किया लेकिन अब उनकी भी साँस फूल गयी और फुले भी क्यों न जब खबरों का असर प्रशासन और जनता पर होना बंद हो जाये तो वो किसको जागरूक करे? बड़े बड़े आर्टिकल पड़ने पर भी सिर्फ कर्म पकड़ कर बैठे रहे लोग और मस्त हो प्रशासन तो देश का हाल चिनतजनक तो होगा ही।

रजिस्ट्रार साहब, जो की अभी अभी आये है, अच्छी तरह भाप गए हिमाचल में स्थित माहौल को तो अपनी पत्नी का चयन करवाने के लिए बेताब बैठे है (ऐसा सुना है) इसलिए उनको अग्रिम बधाई "
धन्यवाद
 

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