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राजस्थान के पहले तकनिकी विश्वविद्यालय की दुखद दास्तान, 55% से ज्यादा पद खाली,बेरोजगारों के दबा रखे है 100 लाख रुपये से ज्यादा

राजस्थान राज्य में तकनिकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सरकार ने कोटा जिले में एक तकनिकी विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की जिस के तहत वर्ष 2006 में अभियांत्रिकी महाविद्यालय कोटा रावतभाटा रोड को राजस्थान तकनिकी विश्वविद्यालय का संघटक कॉलेज मानकर इसी में राजस्थान का पहला तकनिकी विश्वविद्यालय खुला।जब यह विश्वविद्यालय खुला तो राजस्थान के ,खासकर कोटा के लोगो में उत्साह एवं ख़ुशी थी की रोजगार के साथ-साथ अब शिक्षा, शोध और अभियांत्रिकी के नए आयाम कोटा में स्थापित होंगे।
लेकिन मात्र 13-14 वर्ष में यह विश्वविद्यालय अब अपनी दयनीय हालत पर रो रहा है, अभी तो इसको दो दशक भी नहीं हुए की इसकी हवा निकलती नजर आ रही है ।

विश्वविद्यालय में मौजूदा समय पर टीचिंग एवं नॉन टीचिंग के कुल मिला कर लगभग 55% से ज्यादा पद खाली पड़े है यानि की यु कहे तो राजस्थान की पहली तकनिकी यूनिवर्सिटी मात्र लगभग 44% स्टाफ के दम पर तकनिकी शिक्षा को बढ़ावा दे रही है। इसके साथ ही वर्ष 2011 से भर्ती के नाम पर बार-बार विज्ञप्ति जारी कर बेरोजगार युवाओ के साथ भद्दा मजाक तो किया जा ही रहा है, इसके अलावा इन्ही बेरोजगारों से अभी तक 100 लाख रुपये से ज्यादा एप्लीकेशन फॉर्म फीस के नाम पर लिए जा चुके है और उन भर्ती का क्या हुआ किसी को नहीं पता।

पहले बात करे की रिक्तियों की तो इसमें टीचिंग एवं नॉन टीचिंग पद दो तरह की श्रेणी है, टीचिंग पद जिसमे ,संघटक कॉलेज के टीचर आते है जो कॉलेज में पढ़ने वाले इंजीनियर विद्यार्थी को अभियांत्रिकी के बारे में अध्यन करवाते है, उनको अपने अनुभव, शोध, तकनिकी ज्ञान के बारे में अवगत करवाते है जो की किसी भी इंजीनियर की एक नीव होती है, और इसी के आधार पर यह इंजीनियर देश एवं विदेश में जाकर अपनी सेवाएं देते है। आज भी इंजीनियरिंग कॉलेज कोटा जो की अब विश्वविद्यालय का संघटक कॉलेज हो चूका है के पास आउट विद्यार्थी पुरे विश्व में अपनी इंजीनियरिंग के ज्ञान से कोटा का लोहा मनवा रहे है । नॉन टीचिंग वो पद होते है जो की किसी भी विश्वविद्यालय का टीचिंग को छोड़कर पूरा कार्य देखते है, प्लेसमेंट, लेखा, एडमिन, परीक्षा , परिणाम, आदि। 

राजस्थान तकनिकी विश्वविद्यालय में पहले बात करे टीचिंग पदों की रिक्तियों की तो यह आकंड़ा वाकई चिंताजनक है साथ ही आंखे खोल देने वाला भी की , जिस कॉलेज के विद्यार्थियों ने पुरे विश्व में अपनी छाप छोड़ी आज इस तरीके से लाचार नजर आ रहा है । बच्चे क्या ज्ञान अर्जन करेंगे जब स्वीकृत पदों में से मात्र 36.78% ही टीचिंग स्टाफ कॉलेज में कार्यरत जबकि 63.21% पद खाली हो । विश्वविद्यालय में टीचिंग के कुल 261 पद स्वीकृत है लेकिन उनमे से 165 पद खाली पड़े है और मात्र 96 पद ही वर्तमान में भरे है। प्रोफेसर की पोस्ट में 37 पद स्वीकृत है लेकिन उसमे सिर्फ 10 पद ही भरे है बल्कि 27 पद खाली है अथार्थ 30% से भी कम प्रोफेसर विश्वविद्यालय में कार्यरत है, सिविल,मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, कप्यूटर , इलेक्ट्रॉनिक & कम्युनिकेशन ब्रांच में क्रमश: 6,5,5,3,3 पद स्वीकृत है लेकिन वर्तमान में 3,2,1,1,2 प्रफेसर ही कार्यरत है जबकि अन्य विषय पेट्रोलियम,एयरोनॉटिकल, P&I,आईटी,MBA आदि में 1-1 पद स्वीकृत है और नैनो टेक्नोलॉजी को छोड़कर  सभी रिक्त है।अब बात की जाये एसोसिएट प्रोफेसर की तो कुल 68 पद स्वीकृत है जबकि मात्र 19 पद ही भरे है और 49 पद खाली है अथार्थ इसमें भी 30% से कम एसोसिएट प्रोफेसर विश्वविद्यालय में कार्यरत है।जिसमे सबसे ज्यादा सिविल & इलेट्रिकल विभाग में जिसमे 10 एवं 9 स्वीकृत पदों में से 4-4 पद भरे हुए है जबकि मैकेनिकल विभाग की बात की जाये तो 9 स्वीकृत पदों में से मात्र 1 पद ही भरे है । ऐसे ही बात अब असिस्टेंट प्रोफेसर की की जाये तो 156 पद स्वीकृत है जबकि 67 पद भरे है और 89 रिक्त है जिसमे पेट्रो केमिकल,  आईटी,MBA में कोई भी असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत नहीं है जबकि फिजिक्स में छ: एवं हुमांइटिस में पांच स्वीकृत पदों में मात्र 1-1 ही कार्यरत है। यह भी एक तरह की विडम्बना है की पेट्रो केमिकल,आईटी,MBA  में विद्यार्थी अन्य विद्यार्थियों की तरह पूरी फीस देकर पढ़ते तो है लेकिन सवाल यह है की उन्हें पढ़ाता कौन है यह नहीं पता क्योकि इन तीनो में न तो कोई प्रोफेसर है न ही एसोसिएट प्रोफेसर न ही असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत है  । इन तीनो ब्रांच में कुल 25 पद स्वीकृत है लेकिन सब के सब रिक्त ।

अब बात की जाये नॉन टीचिंग पदों की तो उसमे कुलपति,प्राचार्य,परीक्षा नियंत्रक, निदेशक अकादमी से लेकर पम्प बॉय तक के कुल 382 स्वीकृत पद है जिनमे से 187  पद फ़िलहाल भरे हुए जबकि 195 पद रिक्त। दूसरे शब्दों में कहे तो मात्र 49% ही भरे है जबकि 51% पद रिक्त। जिनमे परीक्षा नियंत्रक,निर्देशक,डीन स्टूडेंट वेलफेयर,निदेशक अकादमी,लेखाधिकारी, विधि अधिकारी जैसे अनेक महत्वपूर्ण रिक्त है वही सबसे ज्यादा कनिष्ठ सहयक के सबसे ज्यादा पद 66 में से 59 पद रिक्त है वही दूसरे नंबर पर चपरासी के 39 में से 29 पद रिक्त है । कुलमिलाकर कहा जाये तो विश्वविद्यालय की रीढ़ की हड्डी माना जाने वाला नॉन टीचिंग स्टाफ रिक्तियों की कमी से झूझने के कारण बुरी तरह से ओवरलोडेड है।

लेकिन इन रिक्तियों पर किस तरह से विभिन्न विज्ञापन निकाल कर विश्वविद्यालय ने बेरोजगारों के जले पर नमक छिड़कते हुए  लाखो रुपये बना लिए यह बड़ा ही निंदनीय है । विश्वविद्यालय ने वर्ष 2011 में कनिष्ठ सहायक के 29 पदों के लिए भर्ती निकाली जिसमे 2687 आवेदन प्राप्त हुए जिससे विश्वविद्यालय को 8,14,000 रु की धन राशि प्राप्त हुई लेकिन इस भर्ती पर कोई एग्जाम नहीं करवाया गया इसी वर्ष यूनिवर्सिटी ने अन्य टीचिंग एन्ड नॉन टीचिंग के विभिन्न पदों पर भी भर्ती विज्ञापन जारी किया जिसमे 91 पद टीचिंग के एवं 18 पद नॉन टीचिंग के थे जिसमे कुल 762 आवेदन प्राप्त हुए जिससे यूनिवर्सिटी को 3,00,930 रु की धनराशि प्राप्त हुई लेकिन इनमे कुछ टीचिंग एवं नॉन टीचिंग मिलाकर 20 पदों पर चयन हुआ। उसके बाद वर्ष 2013 में पुनः कनिष्ठ सहायक के 29 पदों की विज्ञपति जारी की गयी जिसमे 2128 आवेदन आये और इस बार रकम 5,34,600 रु प्राप्त हुई इसी के साथ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के 33 पदों की भी विज्ञप्ति जारी की गयी थी जिसमे 4656 आवेदन विश्विवद्यालय को प्राप्त हुए और इससे 9,07,146 रु की धन राशि प्राप्त हुई । इस विज्ञापन पर भी विश्विवद्यालय ने आवेदन की धनराशि प्राप्त करने के बाद कोई संज्ञान नहीं लिया और 2014 में विभिन्न पदों की भर्ती विज्ञापन जारी किया जिसमे क्लर्क ग्रेड -II के 29 पदों के लिए वापस से आवेदन मांगे गए और इस बार 2864 आवेदन के जरिये यूनिवर्सिटी को 18,74,010 रुपये की धनराशि प्राप्त हुई , इसके अलावा 37 अन्य विभिन्न नॉन टीचिंग पद की भी विज्ञप्ति इसी में जारी की गयी थी जिसमे कुल 1659 आवेदन आये और उससे 5,64,550 रूपए की धनराशि यूनिवर्सिटी को प्राप्त हुई जबकि इसी विज्ञापन में 41 टीचिंग पदों के लिए 453 आवेदन आये और 1,93,750 रु की धनराशि भी । कुलमिलाकर इस विज्ञापन से यूनिवर्सिटी को 26,32,310 रुपये की धनराशि अर्जित हुई और इस विज्ञापन पर भी इन नॉन टीचिंग पदों पर कोई भर्ती नहीं हुई जबकि टीचिंग के 41 में से 19 पदों का चयन हो गया।  इसके बाद पोचले वर्ष अथार्थ 2018 में पुनः: कनिष्ठ सहायक के 45 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी की जिसमे 20021 आवेदन प्राप्त हुए और इससे यूनिवर्सिटी को 54,31,300 की धनराशि प्राप्त हुई ।

सुचना के अधिकार के तहत दी गयी सुचना से यह प्रतीत होता है की वर्ष 2012 से अब तक टीचिंग में 56 एवं नॉन टीचिंग में 12 लोगो की भर्ती हुई है, वर्ष 2014  में यह अंतिम भर्ती थी जिसमे टीचिंग के 19 अभ्यर्थी का चयन हुआ और उसके बाद से अब तक कोई भर्ती टीचिंग में नहीं हुई जबकि नॉन टीचिंग में अंतिम भर्ती वर्ष 2013 में हुई थी जिसमे एक पुस्तकालयाध्यक्ष एवं एक कनिष्ठ अभियंता की थी उसके बाद से अब तक कोई भर्ती नहीं हुई । जबकि वर्ष 2011 से अब तक विश्वविद्यालय ने विभिन्न भर्ती विज्ञापनों के जरिये 1,05,77,536/-  रु की धनराशि एकत्र की है या यु कहे तो बेरोजगारों से हर साल यूनिवर्सिटी लाखो रुपये नौकरी के सपने दिखाकर हड़प रही है

अब यह तो नहीं पता की यूनिवर्सिटी को क्यों हर बार निकाली हुई भर्ती प्रकिया को रोकना पड़ता है लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है की इस तरह से न जाने कितने हजारो युवाओ का तकनिकी विश्वविद्यालय में नौकरी करने  का सपना सिर्फ सपना ही रह गया । और इस तरह से राजस्थान की पहली तकनिकी यूनिवर्सिटी संघर्ष कर रही है जबकि अभी तो स्ने दो दशक भी पुरे नहीं किये ....

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