आई आई टी में पढ़ाई करने के लिए तमाम तरह की कठिन परीक्षा पास करने के बाद दाखिला मिलता है वहीं देश के जाने माने और विश्व में अपनी साख रखने वाला संस्थान आई आई टी गुवाहाटी में दो रेगुलर कर्मचारी ऐसे नजर में आये है जिनकी डिग्री एक ऐसे संस्थान से है जिसके बारे में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) तक को नहीं पता, अमूमन कहा जाये तो इस शिक्षण संस्थाओ को तो डिग्री देने का अधिकार भी प्राप्त नहीं ।
जब मेने इसके बारे में आई आई टी संस्थान को लिखित शिकायत दी तो संस्थान ने UGC को लेटर लिख कर जवाब माँगा की क्या भारतीय शिक्षा परिषद् लखनऊ ,उत्तर प्रदेश के द्वारा दी गयी डिग्री मान्य है ?
और UGC ने भी आई आई टी गुवाहाटी संस्थान को जवाब में बताया की उपरोक्त यूनिवर्सिटी UGC की उस लिस्ट में नहीं है जिसके तहत यूनिवर्सिटी को स्थापित किया जाता है, अत: इसके द्वारा जारी की गयी डिग्री वैद्य है या नहीं इसकी सुचना उपलब्ध नहीं है।
UGC का यह जवाब अपने आप में सभी शंकाओ को दूर कर देता है लेकिन आई आई टी गुवाहाटी ने इस जवाब को साइड में रख कर अभी छ: महीने से सिर्फ समिति बना कर इसकी जाँच बिठाई है जबकि डॉ बृजेश राइ के लिए तो तूफान की तेजी से भाग कर मशीनगन की तरह नोटिस पे नोटिस दागे जा रहे है क्योकि डॉ ब्रजेश राइ ने इनके काले कुर्मो की जो पोल खोली , मानो उच्च अधिकारियो के दस्त ही लग गए हो । लेकिन जब बात उन दो कर्मचारी की आ रही है जिनकी तो डिग्री ही ऐसे संस्थान से है जिसको पावर ही नहीं डिग्री जारी करने की तो उन को अपना दामाद बनाकर क्यों रख रखा है आई आई टी गुवाहाटी ने ? क्या उनके चयन में भी मलाई खायी है चयन कर्ता ने? जब एक विद्यार्थी का दाखिला होता है जो सिर्फ कुछ सालो के लिए फीस देकर पढ़ने आता है तब तो उनके ज़माने भर के चेकउप, कागजो की जाँच की जाती है लेकिन उन चम्पक वन के राजाओ के समय आंख और दिमाग क्यों किराये पर छोड़ आते है यह आई आई टी के धुरंधर ग़फ़लेबाज ..?
अब जब पोल खुल गयी तब भी अभी तक कोई कारवाही क्यों नहीं की जा रही है जबकि शिकायत मेने बोर्ड ऑफ़ गवर्नर आई आई टी गुवाहाटी तक को जून माह में ही दायर कर दी थी?
अप्रैल में मेने आई आई टी गुवाहाटी में सुचना के अधिकार के तहत एप्लीकेशन डाल कर पूछा की क्या श्री राजीब रॉय एवं श्री रोमन दत्ता की डिग्री भारतीय विद्या परिषद् लखनऊ, उत्तर प्रदेश से जारी की गयी है उत्तर में आई आई टी गुवाहाटी ने बताया की है इनकी डिग्री उक्त विश्विद्यालय से जारी की गयी है ।
जब मेने शोध किया तो एक पत्र पाया जो UGC ने मार्च 2012 में श्री जे आर शर्मा , ओफ्फिसिएटिंग सेक्रेटरी, बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया को उनके पत्र के जवाब लिखा जिसमे श्री जे आर शर्मा ने UGC से सफाई मांगी थी की "भारतीय शिक्षा परिषद् लखनऊ,उत्तर प्रदेश" से जारी BA/BSC की डिग्री को L.L.B (तीन साल के कोर्स ) में दाखिले के लिए मान्य माना जाये या नहीं । UGC ने इस पत्र में बताया की "Bhartiya Shiksh Parishad University, Lucknow, Uttar Pradesh-(BSP) is not an established University/Institution by either state Act or Central Act or Provincial Act or empowered Institute by an Act of Parliament to Confer or Grant degree. It is not recognized by UGC under Section 2(f) and Section 3 of the UGC Act 1956. BSP is not empowered to confer any degree. The Degree awarded by BSP Lucknow, UP is not Recognized." और इस पत्र पर किसी बाबू के नहीं UGC की अंडर सक्रेटरी श्रीमती सरिता मखीजा के हस्ताक्षर है ।
सवाल यह है की, जब यह लेटर मेने BOG को शिकायत के साथ भेजा तो उसके बाद BOG ने समिति बना दी लेकिन संस्थान के दिसम्बर 2018 के पत्र जिसमे यूनिवर्सिटी से जारी डिग्री के Recognition के बारे में पूछा था एवं UGC ने फरवरी 2019 में ही संस्थान को बता दिया की BSP, UGC की लिस्ट में नहीं है तो बनायीं गयी समिति अब तक क्या कर रही है ? सारे कागज होने के बावजूद आई आई टी गुवाहाटी संस्थान कर क्या रहा है इतने महीनो से ? और आई आई टी गुवाहाटी ने मई माह में सुचना के अधिकार के तहत मांगी जानकारी के बिंदु संख्या 4 का जवाब झूठा क्यों दिया की They are not aware and has not tried to ask clarification that BSP is not recognized University/Institute by UGC?
में बताना चाहता हु की श्री राजीब ने आई आई टी गुवाहाटी को स्विमिंग के असिस्टेंट कोच के पद पर कॉन्ट्रैक्टल पोजीशन पर ज्वाइन किया और बाद में वो दिसम्बर 2014 के भर्ती विज्ञापन में चयन होकर PTI बन गए उन्होंने B.P.ED की डिग्री BSP, लखनऊ उत्तर प्रदेश से की जबकि श्री रोमन दत्ता ने संस्थान को पीटीआई ग्रेड-1st के पद पर ज्वाइन किया और बाद में वो सीनियर पीटीआई कर दिए गए और उसके बाद असिस्टेंट फिजिकल एजुकेशन अफसर प्रोमोट कर दिए गए । इन्होने M.P.ED की डिग्री BSP, लखनऊ उत्तर प्रदेश से की है । हालाँकि इन दोनों अधिकारियो को न तो मेने कभी देखा है न ही इनसे वार्तालाप किया है , इसलिए इन्होने की इरादे से यह नौकरी पायी , क्या तिकड़म लगायी इसके बार में कुछ नहीं कह सकता लेकिन आई आई टी गुवाहाटी को इतना सब कुछ ज्ञात होने के बाद भी अब तक कारवाही न करना उनकी गन्दी साजिश की और इशारा करता है ।अब देखना है की आई आई टी गुवाहाटी डॉ बृजेश के ऊपर की जा रही दुर्भावना वाली ताबड़तोड़ कारवाही से ऊपर उठकर इस वाजिब शिकायत पर कार्य करता है या नहीं , और अब तक की जो देश/संस्थान के बहुमूल्य धन की बर्बादी सैलरी के फॉर्म में हुई है उसको रिकवर करता है या नहीं ...वर्ण अंतिम रास्ता तो कोर्ट है ही ।
जब मेने इसके बारे में आई आई टी संस्थान को लिखित शिकायत दी तो संस्थान ने UGC को लेटर लिख कर जवाब माँगा की क्या भारतीय शिक्षा परिषद् लखनऊ ,उत्तर प्रदेश के द्वारा दी गयी डिग्री मान्य है ?
UGC का यह जवाब अपने आप में सभी शंकाओ को दूर कर देता है लेकिन आई आई टी गुवाहाटी ने इस जवाब को साइड में रख कर अभी छ: महीने से सिर्फ समिति बना कर इसकी जाँच बिठाई है जबकि डॉ बृजेश राइ के लिए तो तूफान की तेजी से भाग कर मशीनगन की तरह नोटिस पे नोटिस दागे जा रहे है क्योकि डॉ ब्रजेश राइ ने इनके काले कुर्मो की जो पोल खोली , मानो उच्च अधिकारियो के दस्त ही लग गए हो । लेकिन जब बात उन दो कर्मचारी की आ रही है जिनकी तो डिग्री ही ऐसे संस्थान से है जिसको पावर ही नहीं डिग्री जारी करने की तो उन को अपना दामाद बनाकर क्यों रख रखा है आई आई टी गुवाहाटी ने ? क्या उनके चयन में भी मलाई खायी है चयन कर्ता ने? जब एक विद्यार्थी का दाखिला होता है जो सिर्फ कुछ सालो के लिए फीस देकर पढ़ने आता है तब तो उनके ज़माने भर के चेकउप, कागजो की जाँच की जाती है लेकिन उन चम्पक वन के राजाओ के समय आंख और दिमाग क्यों किराये पर छोड़ आते है यह आई आई टी के धुरंधर ग़फ़लेबाज ..?
अब जब पोल खुल गयी तब भी अभी तक कोई कारवाही क्यों नहीं की जा रही है जबकि शिकायत मेने बोर्ड ऑफ़ गवर्नर आई आई टी गुवाहाटी तक को जून माह में ही दायर कर दी थी?
अप्रैल में मेने आई आई टी गुवाहाटी में सुचना के अधिकार के तहत एप्लीकेशन डाल कर पूछा की क्या श्री राजीब रॉय एवं श्री रोमन दत्ता की डिग्री भारतीय विद्या परिषद् लखनऊ, उत्तर प्रदेश से जारी की गयी है उत्तर में आई आई टी गुवाहाटी ने बताया की है इनकी डिग्री उक्त विश्विद्यालय से जारी की गयी है ।
जब मेने शोध किया तो एक पत्र पाया जो UGC ने मार्च 2012 में श्री जे आर शर्मा , ओफ्फिसिएटिंग सेक्रेटरी, बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया को उनके पत्र के जवाब लिखा जिसमे श्री जे आर शर्मा ने UGC से सफाई मांगी थी की "भारतीय शिक्षा परिषद् लखनऊ,उत्तर प्रदेश" से जारी BA/BSC की डिग्री को L.L.B (तीन साल के कोर्स ) में दाखिले के लिए मान्य माना जाये या नहीं । UGC ने इस पत्र में बताया की "Bhartiya Shiksh Parishad University, Lucknow, Uttar Pradesh-(BSP) is not an established University/Institution by either state Act or Central Act or Provincial Act or empowered Institute by an Act of Parliament to Confer or Grant degree. It is not recognized by UGC under Section 2(f) and Section 3 of the UGC Act 1956. BSP is not empowered to confer any degree. The Degree awarded by BSP Lucknow, UP is not Recognized." और इस पत्र पर किसी बाबू के नहीं UGC की अंडर सक्रेटरी श्रीमती सरिता मखीजा के हस्ताक्षर है ।
सवाल यह है की, जब यह लेटर मेने BOG को शिकायत के साथ भेजा तो उसके बाद BOG ने समिति बना दी लेकिन संस्थान के दिसम्बर 2018 के पत्र जिसमे यूनिवर्सिटी से जारी डिग्री के Recognition के बारे में पूछा था एवं UGC ने फरवरी 2019 में ही संस्थान को बता दिया की BSP, UGC की लिस्ट में नहीं है तो बनायीं गयी समिति अब तक क्या कर रही है ? सारे कागज होने के बावजूद आई आई टी गुवाहाटी संस्थान कर क्या रहा है इतने महीनो से ? और आई आई टी गुवाहाटी ने मई माह में सुचना के अधिकार के तहत मांगी जानकारी के बिंदु संख्या 4 का जवाब झूठा क्यों दिया की They are not aware and has not tried to ask clarification that BSP is not recognized University/Institute by UGC?
में बताना चाहता हु की श्री राजीब ने आई आई टी गुवाहाटी को स्विमिंग के असिस्टेंट कोच के पद पर कॉन्ट्रैक्टल पोजीशन पर ज्वाइन किया और बाद में वो दिसम्बर 2014 के भर्ती विज्ञापन में चयन होकर PTI बन गए उन्होंने B.P.ED की डिग्री BSP, लखनऊ उत्तर प्रदेश से की जबकि श्री रोमन दत्ता ने संस्थान को पीटीआई ग्रेड-1st के पद पर ज्वाइन किया और बाद में वो सीनियर पीटीआई कर दिए गए और उसके बाद असिस्टेंट फिजिकल एजुकेशन अफसर प्रोमोट कर दिए गए । इन्होने M.P.ED की डिग्री BSP, लखनऊ उत्तर प्रदेश से की है । हालाँकि इन दोनों अधिकारियो को न तो मेने कभी देखा है न ही इनसे वार्तालाप किया है , इसलिए इन्होने की इरादे से यह नौकरी पायी , क्या तिकड़म लगायी इसके बार में कुछ नहीं कह सकता लेकिन आई आई टी गुवाहाटी को इतना सब कुछ ज्ञात होने के बाद भी अब तक कारवाही न करना उनकी गन्दी साजिश की और इशारा करता है ।अब देखना है की आई आई टी गुवाहाटी डॉ बृजेश के ऊपर की जा रही दुर्भावना वाली ताबड़तोड़ कारवाही से ऊपर उठकर इस वाजिब शिकायत पर कार्य करता है या नहीं , और अब तक की जो देश/संस्थान के बहुमूल्य धन की बर्बादी सैलरी के फॉर्म में हुई है उसको रिकवर करता है या नहीं ...वर्ण अंतिम रास्ता तो कोर्ट है ही ।
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