Skip to main content

जामिआ यूनिवर्सिटी के मजे 10 साल में ग्रांट/सब्सिडी बढ़कर हुई 452%, साथ ही ,विदेशी विद्यार्थियों में अफगानिस्तान का 48% से ज्यादा पर कब्ज़ा क्यों?


देश के जाने माने विश्वविद्यालय जहाँ के विद्यार्थी  आजकल पुरे देश के साथ-साथ विश्व का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रहे है, यह बात अलग है की ध्यान पढ़ाई , शोध , शिक्षा के कारण  न होकर धरने , प्रदर्शन , तोड़ फोड़, देश विरोधी गतिविधिया के कारण  ज्यादा है।  उन विश्वविद्यालय में  नाम है जामिआ मिल्लिया इस्लामिया  यूनिवर्सिटी दिल्ली। 1920 में ब्रिटिश शासन के दौरान स्थापित हुई यह यूनिवर्सिटी आजकल खासी चर्चा में बनी  हुई है , इस की स्थापना का उदेश्य , विशेष रूप से  मुस्लिम समुदायों  के छात्रों के साथ अन्य छात्रों में राष्ट्रवाद की भावना भी विकसित  कर सकना था, लेकिन आजकल  कि सुर्खिया बता रही है की  अपने  भटके हुए छात्रों की वजह  से अब  सविंधान विरोधी गतिविधियों में इसका नाम ज्यादा जुड़ रहा है। और अजाक  देखा जा रहा है मुस्लिम धर्म के फॉलोवर अचानक से हिन्दू धर्म के दलित और पिछड़े के हिमायती बन रहे है, लेकिन हकीकत यह है की उनकी यह दोहरी निति की पोल खुलती है जामिआ और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से।  अगस्त 2018 में संसद में पूछे गए सवाल के दौरान बताया गया की AMU  एवं जामिआ दोनों में दलित एवं पिछड़े वर्ग के लोगो को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता।  राज्यमंत्री  ने संसद  में बताया की सरकार  की आरक्षण निति का पालन नहीं हो रहा है इन दोनों यूनिवर्सिटी  में। जामिआ में आधी सीट्स पर सिर्फ मुस्लिम को दाखिला दिया जाता है ।

जामिआ मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी, एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, यह वही यूनिवर्सिटी है जहाँ पर सबसे पहले नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ बड़ा प्रोटेस्ट हुआ था, जिसने बाद में उग्र रूप ले लिया,  उसकी चिंगारी ने देश की सार्वजनकि सम्पति को तो नुकसान पहुंचाया साथ ही पुरे देश के लोगो की आंखे ओर खोल दी, उसी के बाद से समर्थन ओर विरोध में कई जगह धरने प्रदर्शन हुए, जो अभी तक जारी है। देश के लोगो में पुनः JNU के साथ-साथ जामिआ की भी बात होने लगी ओर एक उत्सुकता वश सवाल उठने लगे । इसी बीच मुझे सुचना के अधिकार के तहत जानकारी में पता चला की जामिआ में 344 विदेशी विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे है उनमे से आधे के बराबर यानि की 166 विद्यार्थी तो उस देश से आते है जिसको आतंकियो का गढ़ माना जाता है , उस देश से जहाँ पर इस्लामिक स्टेट जैसे खतरनाक आतंकवादी पैदा होते है उसी के साथ ईरान  के भी 28 विद्यार्थी जमाया में शिक्षा ग्रहण कर रहे है। हालाँकि यह शिक्षा बहाना है या देश का महोला बिगाड़ना है  उद्देश्य इनका हम नहीं जान सकते ।  लेकिन इनकी मोजुदगी कई सवाल खड़े करती है क्योकि अफगानिस्तान ओर ईरान ऐसे देश है जो विश्व प्रसिद्ध है आतंकियों के लिए ओर अब जो भी देश विरोधी गतिविधिया हो रही है उनमे जामिआ के विद्यार्थियों का इतना उग्र प्रदर्शन , बसों को आग लगाना, तोड़ फोड़ करना, रस्ते जाम करना यह सब कब से हमारे देश के विश्वविद्यालय में होने लग गया पता ही नहीं चला ।   कौन है ऐसी  मानसिकता के लोग ? आपको बता दू सिर्फ अफगानी, ईरानी ही नहीं इराक , तुर्की, सीरिया, लीबिया , बांग्लादेश, पाकिस्तान, यमन, जॉर्डन जैसी 41 अलग - अलग देशो के छात्र है लेकिन इनमे सबसे ज्यादा अफगानी, ईरानी ही क्यों है ? चीन ओर यूनाइटेड किंगडम का एक-एक छात्र मात्र,  उनके 10 भी क्यों नहीं ? अमेरिका,  सिंगापूर, रूस जैसे देशो के छात्र क्यों नहीं है?  यह आतंकवादी वाले देशो के ही विद्यार्थी संख्या में इतने अधिक क्यों ?इस वर्ष जामिआ में पड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या 19354 जिसमे से अधिकतर 9074 अंडर ग्रेजुएट के, 4371 पोस्ट ग्रेजुएट के, 1796 पीएचडी के,3663 डिप्लोमा/सर्टिफिकेट के एवं 450 MTech/Mphil । इन कुल विद्यार्थी में मात्र 34.11% ही महिला विद्यार्थी है जबकि यही डाटा गत  वर्ष की रिपोर्ट में 36% था यानि की महिला शिक्षा में भी जामिआ इस साल पिछले साल की रिपोर्ट से थोड़ी पीछे आ गयी, जबकि इस दिशा में  किसी भी बुद्धिजीवी  का ध्यान नहीं गया वही विदेशी विद्यार्थियों में  गत वर्ष की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया की यूनिवर्सिटी में कुल विद्यार्थियों का 1.6% थे जबकि यह इस वर्ष बढकर 1.77% हो गए । इसके साथ ही जहा 1800 के लगभग पीएचडी के विद्यार्थी है वही पीएचडी में मात्र इसके 16% यानि की 293 रिसर्च स्कॉलर  ही वर्ष 2018 में अपनी पीएचडी पूरी कर पाए।यह सब डाटा यह जताने के लिए काफी है की क्या माहौल जामिआ के अंदर  पनप रहा है।

यह बात तो हुई  विद्यार्थियों की अब बात कर ले सब्सिडी ग्रांट जोकि यह विद्यार्थी अपना हक़ बताते है और जो कर दाता की जेब से काट कर इन विद्यार्थियो एवं विदेशी विद्यार्थियों की शिक्षा पर खरच किया जा रहा है उसमे अब यदि बात की जाये मोदी सरकार की तो बता दू, दिल खोलकर मोदी सरकार सब्सिडी दे रही है जहा 2007-08 में जामिआ को सब्सिडी मिली थी 82 करोड़ की वही यह 2017-18 मे बढ़कर 370 करोड़ 69 लाख हो गयी है । दूसरे शब्दों में कहे तो एक दशक में ही सब्सिडी ग्रांट बढ़कर 450% से भी ज्यादा हो गयी । तो एक सवाल लाजमी है क्या यह ग्रांट उन विद्यार्थियों के लिए है जो देश के खिलाफ उग्र आंदोलन करे या अपनी राजनीती महत्वकांक्षा के लिए यूनिवर्सिटी के सहारे सीडिया चढ़े।  यह ग्रांट यूनिवर्सिटी को दी जाती है ताकि विद्यार्थी पढ़कर देश के निर्माण, विकास में योगदान कर सके लेकिन यहाँ तो उल्टा हो रहा है इस सब्सिडी के पैसे से धरने प्रदर्शन करके देश की सम्पति को ही नुकसान पहुंचाया जा रहा है जो जब इसका कोई विरोध करता है तो उस विरोध को शिक्षा का विरोध बता दिया जाता है

खेर अब देखना आम इंसान को है की क्या करदाता का यह पैसा कब तक यु ही सब्सिडी के रूप में बर्बाद होता रहेगा और देश यह भी जानना चाहता है की क्या विदेशी बच्चे देश का माहौल बिगड़ने में सहयोग कर रहे है ? मेरा मानना है की ऐसी आतंकवादी देशो के विद्यार्थियों की संख्या बल पर थोड़े ध्यान देने की जरुरत है क्योकि यह लोग कट्टरपंथी भी होते है।



Comments

Popular posts from this blog

देव भूमि हिमाचल को मिला "कृष्ण भक्त" सादगी और परोपकार के धनि निर्देशक आई आई टी मंडी के लिए,बहुतो के पेट में हो रहा दर्द

हिमाचल आई आई टी मंडी को लगभग 2 वर्षो बाद पुर्णकालिन निर्देशक मिल ही गया है. इससे पहले आई आई टी मंडी में निर्देशक श्री टिमोथी ऐ गोनसाल्वेस थे जिन्होंने 10 वर्षो से भी ऊपर आई आई टी मंडी में निर्देशक के पद पर कार्य किया था.  उनके कार्यकाल के समय कई कोर्ट केस भी हुए, घोटालो के आरोप लगे जो अभी तक उच्च न्यायलय में विचाराधीन है. अब आई आई टी मंडी जो की देव भूमि हिमाचल के सबसे बड़े जिले मंडी में स्थित है, को एक दशक बाद दूसरा, नया पूर्णकालिक निर्देशक मिला है जिनका नाम  श्री "लक्ष्मीधर बेहेरा"है.किन्तु यह दुखद है की उनके निर्देशक नियुक्त करने की घोषणा के बाद एवं पद ग्रहण करने से पूर्व ही उनको बेवजह की कंट्रोवर्सी में खींच लाया गया और एक एजेंडा के तहत नरेटिव सेट कर दिया गया .  यह इसलिए हुआ क्योकि वो तिलकधारी है, श्री कृष्ण के उपासक है,सेवा भावी है , छल कपट, आडम्बर से दूर है. सूट-बूट, कोट-पेंट के बजाय कई बार धोती एवं सादा सा कुर्ता पहन, गले में तुलसी माला धारण कर अपने कर्मो का निर्वहन करते है.      प्रोफ बेहेरा के बारे में थोड़ा सा जान ले... प्रोफ बेहेरा आई आई टी कानपूर के इलेक्ट्रिकल ब्रां

Amendment must be adopted in Indian Railway policy

           RAC amount should be 50-60% of confirmed ticket. 2.        Sleeping accommodation should be reviewed again. 3.        PRS Waiting ticket amount should be refunded automatically in given account number, there for      reservation form should be redesigned. 4.        All goods purchase from IRCTC either mobile catering or stationary  ,bill should be furnished so that  over charging can't take place. 5.         Food item served by IRCTC should carry item details with IRCTC logo or authenticity. 6.        confirmed ticket cancellation policy should be redesigned. 7.        Radical amount should be charged for achieving ticket ,should not be next multiple of five rupees, in online system . (751+40+45+54+153+226= 1251 but IRCTC charges 1255,  Train Number: 12431, Class : 3A, Date : 31-8-2017 ) 1 Base Fare Reservation Charge Superfast Charge Other Charges Tatkal Charge Total GST Catering charge # Dynamic fare

4 IITs, 6 IIITs, 5 NITs लम्बे समय से चल रहे बिना नियमित निर्देशक के, साथ ही 8 IITs में बोर्ड ऑफ़ गवर्नर का चैयरमेन भी नियुक्त नहीं

 18 महीनो से ज्यादा समय से खाली है आई आई टी मंडी एवं आई आई टी इंदौर में निर्देशक का पद तो दो ट्रीपल आई टी को है सालो से अपने नियमित निर्देशक का इंतजार. यूनियन मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया था की पांच आई आई टी और एन आई टी संस्थानों में नियमित निर्देशक के पद खाली पड़े है साथ ही 29 बोर्ड ऑफ़ गवर्नर चैयरमेन के पद भी विभिन्न आई आई टी एवं एन आई टी में खाली पड़े है. इसी विषय में मेरी आर टी आई के संदर्भ में शिक्षा मंत्रालय द्वारा दिए गए उत्तर से पता चला है दो आई आई टी में 18 महीनो से अधिक तो 1 आई आई टी में 12 महीने से अधिक समय से नियमित निर्देशक का पद खाली है जबकि 1 ट्रिपल आई टी में वर्ष 2013-14 तो दूसरी ट्रिपल आई टी में वर्ष 2015-16 से ही निर्देशक का पद खाली चल रहा है. राष्ट्रीय स्तर के संस्थान में खाली पड़े इन पदों को भरने में शिक्षा मंत्रालय ने कोई खास रूचि नहीं रखी.हालाँकि यूनियन मिनिस्टर ने पांच आई आई टी में निर्देशक के पद खाली होने का जवाब लोकसभा में 19 जुलाई को दिया जबकि 13 जुलाई को मंत्रालय के द्वारा मुझे दिए गए उत्तर में चार आई आई टी में निर्द