Skip to main content

दावा:घाटे में जाती रेलवे, हकीकत:तीन साल में टिकट कैंसलेशन & वेटिंग टिकट से ही कमा लिए 9020 करोड़ से ज्यादा...

भारतीय रेल भले ही घाटे से झूझने की बात कर रही हो और इसके निजीकरण के लिए अलग अलग तर्क दे रही हो, लेकिन मुझे जो जानकारी सुचना के अधिकार के तहत मिली उससे जो  हकीकत सामने आयी वो वाकई चौकाने वाली है. रेलवे को बिना कुछ करे ही औसतन सालाना 5 करोड़ नहीं, 10  करोड़ नहीं, 100 करोड़ नहीं 500  करोड़ नहीं, पुरे 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई हो रही है यह कमाई टिकट कैंसलेशन के चार्जेज एवं वेटिंग टिकट रद्द न हो पाने से हो रही है . 01 जनवरी 2017 से लेकर 31  जनवरी 2020 तक रेलवे ने 9020,54,21,351 रुपये इसी तरह कमा लिए और अपने धन में इजाफा किया.

File Photo 



मेने सेंटर फॉर रेलवे इनफार्मेशन सिस्टम (CFRIS) से सुचना के अधिकार के तहत आवेदन करके विब्भिन तरह के 6 सवाल पूछे थे जिनके माद्यम से जानना चाहा की वेटिंग टिकट जो चार्ट बनने के बाद भी वेटिंग रहे और कैंसल नहीं हो पाए ऐसे टिकट की संख्या बताओ एवं ऐसे टिकट से पिछले तीन साल में रेलवे को कितना धन अर्जन हुआ? रेलवे को पिछले तीन साल में विब्भिन श्रेणी के रिजर्वेशन टिकट कैंसलेशन चार्जेज से कितना धन अर्जन हुआ और ऐसे टिकट की संख्या बताओ? कितने कन्फर्म टिकट पिछले तीन साल में कैंसल करवाए गए, पिछले तीन साल में कितने रिजर्वेशन टिकट काउंटर और इंटरनेट के माधयम से करवाए गए.

जिनका जवाब देते हुए रेलवे ने बताया की 01 जनवरी 2017 से लेकर 31 जनवरी 2020 तक सभी श्रेणी को मिलकर कुल 9 करोड़ 5 लाख से ज्यादा यात्री थे जिनका टिकेट चार्ट बनने के बाद भी वेटिंग में रहा और कैंसल नहीं हो पाया जिससे रेलवे  को 4335 करोड़ 70 लाख, 79 हजार से ज्यादा की आमदनी हुई.  इनमे चार्ट बनने के बाद भी वेटिंग रहे एवं कैंसल न हो पाने वाले सबसे ज्यादा टिकट स्लीपर क्लास के रहे जिनकी संख्या 7 करोड़ 73 लाख 96 हजार से भी ज्यादा रही जिनसे रेलवे को 3570 करोड़ 85 लाख से ज्यादा की आमदनी हुई. उसके बाद  संख्या थर्ड ऐसी  (3-AC) की रही जिसमे यात्रिओ की संख्या 65 लाख 77 हजार से ज्यादा रही एवं उससे आमदनी 555 करोड़ 24 लाख 40 हजार से ज्यादा रही. वही सबसे कम संख्या EA ( एग्जीक्यूटिव अनुभूति) की रही जिसमे मात्र 497 यात्रियों के टिकट वेटिंग में रहे और कैंसल नहीं हो पाए जिसकी वजह से रेलवे को 7 लाख 57 हजार रुपये से अधिक की आमदनी हुई. वही टिकट  कैंसलेशन से हुई आमदनी के बारे में जवाब देते हुए रेलवे ने बताया की 01 जनवरी 2017 से लेकर 31 जनवरी 2020 तक सभी श्रेणी के टिकट कैंसलेशन से रेलवे को 4684 करोड़ 83 लाख 41 हजार रुपये से ज्यादा की आमदनी हुई. इसमें भी सबसे ज्यादा आमदनी स्लीपर क्लास के टिकट कैंसलेशन से हुई जो 2083 करोड़ रुपये से ज्यादा रही वही दूसरे नंबर पर थर्ड ऐ सी (3-AC) की रही जिससे 1479 करोड़ रुपये से ज्यादा की आमदनी रेलवे को हुई . वही टिकट कैंसलेशन में हुई आमदनी में भी सबसे कम आमदनी EA ( एग्जीक्यूटिव अनुभूति) की रही जिससे मात्रा 2 करोड़ 41 लाख 92 हजार 474 रुपये रही. इस दौरान कुल कन्फर्म टिकट कैंसलेशन की संख्या 12 करोड़ 11 लाख से ज्यादा रही जिसमे 21 लाख यात्री प्रभावित हुए
File Photo


रेलवे की 01 जनवरी 2017 से लेकर 31 जनवरी 2020 तक टिकट कैंसलेशन चार्जेज एवं वेटिंग टिकट कैंसलेड न होने पाने के कारण आमदनी कुल 9020 करोड़ 54 लाख 21 हजार 351 रुपये रही. 

वही अब बात की जाये की कितने टिकट रिज़र्व करवाए गए तो रेलवे ने बताया की 01 जनवरी 2017 से लेकर 31 जनवरी 2020 तक इंटरनेट के माध्यम से कुल 1459 करोड़ 57 लाख से ज्यादा यात्रियों के टिकट करवाए गए जबकि काउंटर के माध्यम से 749 करोड़ 45 लाख से ज्यादा यात्रियों के टिकट करवाए गए. 


वैसे तो जयपुर उच्च न्यायायल में वर्ष 2017 से मेरी एक जनहित याचिका विचाराधीन है जिसमे रिजर्वेशन पालिसी को चैलेंज किया गया है. इस याचिका में बताया गया है एक ही ट्रैन के लिए, एक ही जगह के लिए, एक ही कोच में दो तरह से ( इंटरनेट एवं काउंटर )टिकट बुक किये जाते है और दोनों में ही कैंसलेशन के अलग-अलग प्रावधान है जो उपभोक्ता के लिए हित में नहीं है. इंटरनेट से बुक करवाया गया टिकट, चार्ट बनने के बाद भी यदि वेटिंग में रह जाता है तो वह स्वत: ही कैंसिल हो जाता है और कैंसलेशन चार्जेज (65 रुपये)  काट कर  पूरी धन राशि अकाउंट में वापस कर दी जाती है है जबकि काउंटर टिकट में चार्ट बनने के बाद भी यदि टिकट वेटिंग में रह जाता है, तो वह स्वत: रद्द नहीं होता , उसको यात्री को ट्रैन छूटने के वास्तविक समय से आधे घंटे पहले कैंसल करवाना होता है एवं राशि काउंटर पर जाकर एकत्र करनी होती है. अत: दूसरे शब्दों में कहे तो यात्री को मात्र 3.30 घटने मिलते है जिसमे उसको काउंटर पर जाकर टिकट कैंसल कि राशि एकत्र करनी होती है या फिर उस टिकट से यात्रा करने के लिए ट्रैन के चेकिंग स्टाफ से  ट्रैन में चढ़ने के पहले आज्ञा लेनी पड़ती है,यदि बिना आज्ञा के यात्रा की जाये तो नियमनुसार कारवाही का प्रावधान है. दोनों ही परिस्थिति में यात्री को मानसिक तनाव झेलना पड़ता है जबकि इंटरनेट से करवाए गए टिकट में ऐसा कुछ नहीं है . और इसी वजह से रेलवे को बेवजह की कमाई हो रही है जो तर्कसंगत नहीं है. 


मामले की गंभीरता  को समझते हुए माननीय उच्च न्यायाल ने विचार करते हुए रेलवे से नोटिस जारी करके जवाब माँगा. 

अब देखना है की रेलवे कब तक अपनी छुपी कमाई को एकत्र करती रहेगी और यह तो सिर्फ दो तरीके से कमाई जाने वाली राशि का खुलासा हुआ है उसके अलावा जाने कितने और भी तरीके है जिनसे रेलवे धन अर्जित करता है और लोग समझ नहीं पाते उसमे एक तत्काल quota  भी है, आप खुद सोचो एक ही टिकट, एक जैसा कोच , एक जैसी बर्थ, एक जैसी सुविधा फिर सरकारी उपक्रम में उसी टिकट पर तत्काल के नाम पर लूट कहा तक वाजिब है?  उसके अलावा राउंडिंग ऑफ का खेल जिसमे 5 के गुणक में पैसा लेना यानि यदि टिकट 361 रुपये का हुआ तो भी आपको 365 रुपये चुकाने होंगे भले ही धन का ट्रांफर ऑनलाइन ही हो जिसमे 0.49 रुपये  का पेमेंट भी किया जा सके . इस तरह के गोलमाल से रेलवे चुना लगा रहा है आम लोगो को , वैसे रेलवे गरीबो का जहाज कहा जाता है भारत में . 
a

Comments

Popular posts from this blog

देव भूमि हिमाचल को मिला "कृष्ण भक्त" सादगी और परोपकार के धनि निर्देशक आई आई टी मंडी के लिए,बहुतो के पेट में हो रहा दर्द

हिमाचल आई आई टी मंडी को लगभग 2 वर्षो बाद पुर्णकालिन निर्देशक मिल ही गया है. इससे पहले आई आई टी मंडी में निर्देशक श्री टिमोथी ऐ गोनसाल्वेस थे जिन्होंने 10 वर्षो से भी ऊपर आई आई टी मंडी में निर्देशक के पद पर कार्य किया था.  उनके कार्यकाल के समय कई कोर्ट केस भी हुए, घोटालो के आरोप लगे जो अभी तक उच्च न्यायलय में विचाराधीन है. अब आई आई टी मंडी जो की देव भूमि हिमाचल के सबसे बड़े जिले मंडी में स्थित है, को एक दशक बाद दूसरा, नया पूर्णकालिक निर्देशक मिला है जिनका नाम  श्री "लक्ष्मीधर बेहेरा"है.किन्तु यह दुखद है की उनके निर्देशक नियुक्त करने की घोषणा के बाद एवं पद ग्रहण करने से पूर्व ही उनको बेवजह की कंट्रोवर्सी में खींच लाया गया और एक एजेंडा के तहत नरेटिव सेट कर दिया गया .  यह इसलिए हुआ क्योकि वो तिलकधारी है, श्री कृष्ण के उपासक है,सेवा भावी है , छल कपट, आडम्बर से दूर है. सूट-बूट, कोट-पेंट के बजाय कई बार धोती एवं सादा सा कुर्ता पहन, गले में तुलसी माला धारण कर अपने कर्मो का निर्वहन करते है.      प्रोफ बेहेरा के बारे में थोड़ा सा जान ले... प्रोफ बेहेरा आई आई टी कानपूर के इलेक्ट्रिकल ब्रां

Amendment must be adopted in Indian Railway policy

           RAC amount should be 50-60% of confirmed ticket. 2.        Sleeping accommodation should be reviewed again. 3.        PRS Waiting ticket amount should be refunded automatically in given account number, there for      reservation form should be redesigned. 4.        All goods purchase from IRCTC either mobile catering or stationary  ,bill should be furnished so that  over charging can't take place. 5.         Food item served by IRCTC should carry item details with IRCTC logo or authenticity. 6.        confirmed ticket cancellation policy should be redesigned. 7.        Radical amount should be charged for achieving ticket ,should not be next multiple of five rupees, in online system . (751+40+45+54+153+226= 1251 but IRCTC charges 1255,  Train Number: 12431, Class : 3A, Date : 31-8-2017 ) 1 Base Fare Reservation Charge Superfast Charge Other Charges Tatkal Charge Total GST Catering charge # Dynamic fare

4 IITs, 6 IIITs, 5 NITs लम्बे समय से चल रहे बिना नियमित निर्देशक के, साथ ही 8 IITs में बोर्ड ऑफ़ गवर्नर का चैयरमेन भी नियुक्त नहीं

 18 महीनो से ज्यादा समय से खाली है आई आई टी मंडी एवं आई आई टी इंदौर में निर्देशक का पद तो दो ट्रीपल आई टी को है सालो से अपने नियमित निर्देशक का इंतजार. यूनियन मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया था की पांच आई आई टी और एन आई टी संस्थानों में नियमित निर्देशक के पद खाली पड़े है साथ ही 29 बोर्ड ऑफ़ गवर्नर चैयरमेन के पद भी विभिन्न आई आई टी एवं एन आई टी में खाली पड़े है. इसी विषय में मेरी आर टी आई के संदर्भ में शिक्षा मंत्रालय द्वारा दिए गए उत्तर से पता चला है दो आई आई टी में 18 महीनो से अधिक तो 1 आई आई टी में 12 महीने से अधिक समय से नियमित निर्देशक का पद खाली है जबकि 1 ट्रिपल आई टी में वर्ष 2013-14 तो दूसरी ट्रिपल आई टी में वर्ष 2015-16 से ही निर्देशक का पद खाली चल रहा है. राष्ट्रीय स्तर के संस्थान में खाली पड़े इन पदों को भरने में शिक्षा मंत्रालय ने कोई खास रूचि नहीं रखी.हालाँकि यूनियन मिनिस्टर ने पांच आई आई टी में निर्देशक के पद खाली होने का जवाब लोकसभा में 19 जुलाई को दिया जबकि 13 जुलाई को मंत्रालय के द्वारा मुझे दिए गए उत्तर में चार आई आई टी में निर्द