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चिंताजनक एवं डरावना: हिंसा की पौध तैयार कर रहा है IIT Mandi का माइंड ट्री स्कूल

बच्चे मन के सच्चे,वो अबोध है उनको सिर्फ प्यार, सौहार्द के बारे में शिक्षा दी जाती है क्योकि जैसा उनको सिखाया जाता है वो ही उनकी तालीम बन जाती है  । कच्ची मिटटी की तरह होते है बच्चे, जिस सांचे में ढालो उसी में ढल जाते है। बच्चो के माता पिता उनको नर्सरी से ही अच्छे विद्यालय में भेजते है ताकि उनको एक सम्भ्य, नैतिक एवं मिलनसार इंसान बनने का ज्ञान मिल सके, वो प्यार बांटना सीखे, सौहार्द के साथ सबके साथ रहना सीखे। जो हिंसा के तरीके आतंकवादी , बच्चो को आतंक की ट्रेनिंग में सीखाते है वो तरीके माइंड ट्री स्कूल में पडोसी से बदला लेने के लिए दूसरी क्लास के बच्चो को पढ़ाया जा रहा है. हिंसा के बारे में कोई बात छोटे बच्चो के सामने करता दिखता नहीं , कोई अपराधी भी होता है तो वो भी बच्चो के सामने अपराध की गाथा नहीं सुनाता लेकिन आई आई टी मंडी कैंपस में चल रहे निजी स्कूल माइंड ट्री दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले मासूम बच्चो को पडोसी से बदला लेने के लिए उनके घर में बम फोड़ने, खिड़की पर पत्थर की बारिश करना जैसी कहानी बता रहा है, वाकई यह शर्मनाक तो है ही लेकिन उससे भी ज्यादा है चिंताजनक, की क्या दूसरी क्लास के बच्चे यह हिंसा को पढ़ने के लिए तैयार है? क्या इन मासूम बच्चो के जेहन में बदला लेने जैसा कोई शब्द डालना चाहिए और डाल भी दिया तो क्या बदले की भावना के नाम पर कठोर हिंसा सिखानी चाहिए, षड़यंत्र करना सीखाना चाहिए ? क्या असर होगा इन बच्चो के दिमाग और व्यक्तित्व पर जब क्लास में पडोसी से किसी बात पर बदला लेने के लिए उनके घर में बम फोड़ने, वाहियात षड़यंत्र करके पडोसी को परेशां करना, उनकी खिड़की पर पत्थरो की बारिश करना जैसी कहानी पढ़ाई जाये ? वाकई सोच कर ही दिल बैठ जाता है, किस तरह की पौध तैयार कर रहा है यह निजी स्कूल दूसरी क्लास के मासूम बच्चों को हिंसा का पाठ पढ़ाकर?  


आई आई टी मंडी के कैंपस मे चल रहे निजी स्कूल माइंड ट्री की दूसरी ग्रेड की किताब "अंग्रेजी पढ़ाई का खजाना ( इंग्लिश रीडिंग ट्रेज़रस )" पार्ट थ्री के पाठ संख्या 10 जिसका शीर्षक है "बुरे पडोसी" में एक ऐसा पाठ बच्चो को पढ़ाया जा रहा है जिससे मासूम कुछ सीखे न सीखे लेकिन हिंसा करना जरूर सिख सकते है.
   
इस कहानी में बताया गया की " एक आदमी उसके पडोसी के घर के पास से गुजर रहा था. उसकी जेब से एक कागज का टुकड़ा  गिर गया , उसका पडोसी यह सब खिड़की से देख रहा था. उसने सोचा "कितना भद्दा है ये ! आदमी ने मेरे घर के सामने गन्दा किया.
आदमी ने बिना कुछ सोचे पडोसी से बदला लेने की योजना बनायीं और खुद के घर की कचरे की बास्केट पहले आदमी के पोर्च में जाकर उलट दी. यह सब पहला आदमी जिसके घर में यह बास्केट उलटी वो खिड़की से देख रहा था और उसने बिना कुछ बोले दूसरे आदमी से बदला लेने की योजना बनायीं और रात को एक किसान को फोन करके पडोसी के यहाँ दस बतख एवं पिग( सूअर) डिलीवर करने को कहा, जब पडोसी दूसरे दिन उठा तो वह दुर्गन्ध एवं उन जानवरो से परेशां हो चूका था , अब पुनः पहले आदमी से वापस बदला लेने की प्लानिंग कर रहा था, इसी तरह वो एक दूसरे से बदला लेते रहे और उनका बदला लेने का एक्ट खतरनाक होता गया जिसमे एक दूसरे की खिड़कियों पर पत्थर की बारिश करना, बैंड से तेज आवाज  करना  एवं फायर साईरन

बजा कर परेशां करना, एक दूसरे की गार्डन की जाली को बड़े ट्रक बुला कर तोड़ देना और अंत में एक दूसरे के घर पर बम फेंक कर घर को तबाह करना "

इस तरह की स्टोरी  इस तरह दूसरी क्लास के मासूमो को बदले की भावना में इस तरह की खतरनाक तरीके पढाये जा रहे है और वो भी इतनी सी बात पर पर की पडोसी की जेब से गलती से कागज गिर गया दूसरे पडोसी के घर के सामने।

मासूमो को बदले की भावना से हिंसा करने के तरीके पढाये जाने की जगह बताना चाहिए था की जब पहले पडोसी की जेब से कागज गिरा तो दूसरे पडोसी को उसको उठा कर डस्टबिन में डाल देना चाहिए और पहले पडोसी को प्यार से इस बारे में बताना चाहिए की "मान्यवर स्वच्छ भारत के लिए सजग रहे  और अपने चारो और गंदगी नहीं फैलने दे। इस तरह  यदि पढ़ाया जाता तो बच्चो में सफाई के प्रति अच्छी भावना जागृत होती लेकिन जो बच्चो को पढ़ाया जा रहा है उससे वो उसी प्रवित्ति की और सोचेंगे ।

 अब यहाँ जो सवाल उठते है वो निम्न है-


1. क्या बदले की भावना जैसा शब्द दूसरी क्लास के मासूमो को पढ़ाना जरुरी है? इसके क्या दूरगामी परिणाम हो सकते है वो पता है?

2. क्या बदले में हिंसा करना या पडोसी को परेशां करना मासूमो को पढ़ाना सही है ? इससे क्या सीख लगे बच्चे ?

3. क्या एक दूसरे के ऊपर पत्थर फेकना, बम फेंकना.  यह क्रूर हिंसा जो आतंकवादी बच्चो को सिखाते है वो भारत जैसे देश में स्कूल में पढ़ाना वो भी दूसरी क्लास के मासूम बच्चो को कितना खतरनाक हो सकता है ? क्या यह अपराध की श्रेणी में गिना जायेगा ?   

 हालाँकि पाठ में यह भी बताया गया की बम फोड़ने के बाद दोनों अस्पताल में भर्ती हो गए और धीरे-धीरे मिलजुल कर बात करने लगे.  पेपर वाली घटना के बारे में एक दूसरे से बात की और निष्कर्ष निकाला की यह सब ग़लतफ़हमी की वजह से हुआ यदि बात कर लेते तो दोनों के घर बर्बाद नहीं होते । 
      

Supreme Court Of India ने भी शाहीन बाग प्रोटेस्ट में माता-पिता से बच्चो को ले जाने से मना किया और कहा की ऐसी जगह पर जाने से मासूमो पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है, फिर इस तरह से बदला लेने के लिए हिंसात्मक रवैये अपन्नाने वाले पाठ को पढ़ाकर स्कूल किस तरह की दिशा में बच्चो को धकेल रहा है यह सोचने की बात है। इस तरह गंभीर हिंसा फैलाने वाले पाठ मासूमो को पढ़ाने से मासूमो के दिमाग पर क्या असर होगा यह तो वक्त बताइये लेकिन इस तरह के कृत्या करने वाले प्रशासन के ऊपर क्या एक्शन होगा यह सरकार निर्णय करे ।

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