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कोरोना काल में बिजली बिल माफ़ी की जगह, राजस्थान सरकार ने बिजली दर में बढ़ोतरी कर आमजन को दिया करंट


जहां एक तरफ पूरा देश कोरोना जैसी त्रासदी से गुजर रहा है, लोगो के पास रोजगार की समस्या है, खाने के पैसे नहीं , बड़ी मुश्किल से जैसे तैसे खर्चा चल रहा है, दुकाने ठप्प पड़ी है, धंधा चौपट हो चला है वहीं राजस्थान सरकार के बिजली निगम ने बिजली की दरों में वृद्धि कर आमजन को दोहरी मार दी है। जहां एक तरफ कांग्रेस की प्रियंका गाँधी उत्तर प्रदेश सरकार से कोरोना काल में आमजन की समस्या को देखते हुए बिजली बिल को पूर्णतया माफ़ करने के लिए पत्र लिख रही है वहीं उनकी खुद की सरकार वाले राज्य राजस्थान में बिजली विभाग ने चुपचाप से दरों में वृद्धि कर आमजन को जोरदार करंट दिया है । 
कोटा में बिजली प्रदात्ता निजी कंपनी ने जब ऑनलाइन बिल जारी किये तब इस बढ़ोतरी का खुलासा हुआ, हालाँकि यह बढ़ोतरी राज्य सरकार ने की है , निगम ने की है या बिजली प्रदाता कंपनी ने, इस पर मुझे अभी तक कोई क्लैरिटी नहीं है। जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने भी क्या बिजली के बिलो में वृद्धि  की है यह जानने का विषय है । नयी बिजली दर 01 फरवरी 2020 से लागु है जिसका प्रथम बिल मार्च यानि की लोक डाउन के दौरान जारी हुआ, चूँकि लॉक डाउन लागु होने से यह बिल सिर्फ ऑनलाइन जारी किये गए, लोगो के घरो तक नहीं पहुंचे अत: अधिकतर बिजली उपभोक्ताओं को अभी तक इस बढ़ोतरी का ठीक से पता नहीं चला। जब मेने अपने बिल की बड़ी हुई राशि देखि और शक हुआ तो दफ्तर जाकर पता किया तब मालूम चला, सरकार ने बिजली की दरों में वृद्धि की है । बिजली की दरों में वृद्धि करने से एक बिल में औसतन 15% का इजाफा हुआ है। विद्युत् शुल्क के साथ-साथ ,स्थायी  शुल्क में भी बढ़ोतरी कर के सरकार ने  बिजली उपभोक्ताओं को तगड़ा झटका दिया है।

पुरानी एवं नयी विद्युत दरें स्थायी शुल्क के साथ इस प्रकार है


इस बड़ी हुई दरों से बिजली बिल में हर महीने औसतन 13-15%  तक की बढ़ोतरी होगी। इस गणित को इस तरह समझिये यदि आपके महीने की 600  यूनिट बिजली की खपत है तो आपका पहले विद्युत बिल पहले 4102/- रुपये आया करता था जबकि यही बिल अब 612/-रुपये बढ़कर 4715/- रुपये आयेगा। बिजली बिल की गणना किस प्रकार से होगी वो देखिये- 


इसके अलावा इन दरों के हिसाब से बिल आएगा इसकी कोई गारंटी नहीं है,जब भी बिल आये तो आपको अपनी जेब बचाने के लिए  खुद को गणना करके दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ेंगे। मेरे जून माह के बिजली बिल में कुल 445 यूनिट बिजली की खपत बताई गयी है, हालाँकि यह बिल बिना रीडिंग के औसत के आधार पर दिया है लेकिन इस बिजली यूनिट खपत के हिसाब से गणना की जाये तो विद्युत शुल्क 3099/- रुपये एवं स्थायी शुल्क 345/- रुपये बनता लेकिन जून माह के बिल में इस यूनिट के ऊपर विद्युत् शुल्क 174/- ज्यादा करके 3173.75/- रुपये एवं स्थाई शुल्क 25/-कम कर के 320/- दिया गया है । जो स्थायी शुल्क लगाया है वो स्लैब में कही नहीं दे रखा है या तो 275/- रुपये या 345/-रुपये स्लैब में दर्शाया गया है जबकि जून माह के बिल में 320 /- रुपये का स्थायी शुल्क लगाकर प्रशनवाचक चिन्ह लगा दिया है  ।

इस कोरोना की त्रासदी की वजह से जहां लोग बिल माफ़ी की उम्मीद लगाए बैठे थे वही राज्य सरकार ने बिजली की दरों में वृद्धि करके आमजन को ठेंगा दिखा दिया । 

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