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22 वर्षो में भारतीय रेल हादसों की घटनाओ में आयी जबरदस्त कमी, सन 2000-01 के मुकाबले 2021-22 में रह गयी मात्र 2.3%

  • रेल हादसों में होने वाली जनहानि भी हुई न के बराबर.वर्ष 2002-03 में 1429 (मौत एवं घायल)  जनहानि की तुलना में वर्ष 2021-22 में यह संख्या मात्र 6 रही.
कई वर्षो पहले भारत में ट्रैन हादसों की खबरे आम हुआ करती थी. आये दिन पढ़ा जाता थी की उक्त स्थान पर ट्रैन हादसा हुआ जिसमे कई लोग अपनी जान गावं बैठे तथा कई घायल हो गए लेकिन अब यह खबर देखने को नहीं मिलती.भारतीय रेलवे द्वारा रेलवे परिवहन में कई तरह के सुधार करने के साथ-साथ यात्रियों को अनेको सुविधाएं प्रदान करने का दावा किया जा रहा है और अमूमन देखने को मिल भी रहा है की भारतीय रेलवे अब सुविधाओं के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है. भारतीय रेलवे परिवहन में वाई-फाई, कैटरिंग,समय-सारणी, लेट-लतीफी,साफ-सफाई, शिकायत निस्तारण, प्लेटफॉर्म पर मिलने वाली सुविधाएं को मिलाकर देखा जाये तो इन कुछ वर्षो में अनेको सुधार देखने को मिले है लेकिन रेल हादसों को लेकर 22 वर्षो का जो डाटा निकल कर सामने आया है उसे देखकर कहा जा सकता है की भारतीय रेलवे परिवहन विभाग ने यात्रियों की जानमाल का विशेष ध्यान रखते हुए हादसों को रोकने के लिए दो दशकों में जबरदस्त कार्य किया है. 

भारत में होने वाले रेल हादसो की संख्या में दो दशकों में भारी गिरावट देखने को मिली है जबकि रेल हादसों से हुई जन क्षति अब नगण्य के बराबर है. सुचना के अधिकार से यह जानकारी मिली है.

सितम्बर 2021 में रेलवे मंत्रालय से सुचना के अधिकार के तहत वर्ष 2000 से लेकर सितम्बर 2021 तक हुए वर्षवार रेल हादसों ,उसमे हुई जनहानि, घायलों एवं कर्मचारियों की संख्या संबन्धी जानकारी मांगी थी. जिसके प्रतिउत्तर में रेलवे ने अक्टूबर में जवाब दिया.


दिए गए उत्तर से पता चला की वर्ष 2000-01 से वर्ष 2021-22 तक वर्ष 2014-15 को छोड़कर होने वाले रेल हादसों में लगातार गिरावट देखने को मिली. इन 22 वर्षो में भारतीय रेल 3841 बार रेल हादसों का शिकार हुई जिसमे सबसे ज्यादा रेल हादसे, संख्या 473 वर्ष 2000-01 में जबकि सबसे कम संख्या 11 वर्ष 2021-22 में दर्ज किये गए. इसी के साथ रेल हादसो से होने वाली जान-माल की हानि की बात करे तो, होने वाले रेल हादसों से जनहानि एवं घायलों की संख्या में भी अच्छी गिरावट रही इसके अलावा रेल हादसों में अपने जान गंवाने वाले रेलवे कर्मचारियों का आंकड़ा तो वर्ष 2021-22 में शुन्य ही हो गया जो सबसे ज्यादा वर्ष 2002-2003 में 29 था. 

इन 22 वर्षो में कुल 3841 रेल हादसे हुए जिनमे 4468 आमजन ने अपनी जान गंवाई जबकि 157 रेलवे कर्मी इन हादसों की वजह से अपनी जान से हाथ धो बैठे. 8670 लोग इन रेल हादसों में घायल हुए.इन 22 वर्षो में होने वाले रेल हादसे, वर्ष 2017-18 से तीन डिजिट की जगह दो डिजिट में आना शुरू हुए और वर्ष 2017-18 जो 78 की संख्या में थे वो पांच सालो में ही 11 पर आ गए.इसी वर्ष से रेल हादसों में मरने वाले आमजन की संख्या भी तीन से दो डिजिट में आना शुरू हुई, वर्ष 2017-18 में यह संख्या 58 थी जो 2021-22 में मात्र 5 रह गयी.इसी प्रकार रेल हादसों में घायलों की संख्या सबसे कम वर्ष 2021-22 में मात्र 1 रही और रेलवे हादसों में रेलवे कर्मियों की मौत की संख्या इन 22 वर्षो में पहली बार वर्ष 2021-22 में शुन्य दर्ज की गयी जो वर्ष 2002 -03  में अधिकतम 29 दर्ज की गयी थी. 

इन 22 वर्षो में रेलवे हादसों के दौरान सबसे ज्यादा मृत्यु 447 ( 418 आमजन एवं 29 रेलवे कर्मी ) एवं घायल 982 की संख्या  वर्ष 2002-03 में दर्ज की गयी थी.

इन आंकड़ों से पता चलता है की रेलवे ने सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही सराहनीय कार्य किया है हालाँकि रेलवे का लक्ष्य इस हादसों को शुन्य करना है.     

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