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RMAT-2008 में रात दिन एक करने वालो का नहीं दिया अभी तक मेहताना, RTU ये किसी कार्यप्रणाली है तेरी ?

राजस्थान की पहली तकनिकी यूनिवर्सिटी कोटा में वर्ष 2006 में खोली गयी , उसके बाद कई तरह के एग्जाम भी यूनिवर्सिटी ने ही कंडक्ट करवाए उनमे से एक था MBA कोर्स में दाखिले के लिए एंट्रेंस एग्जाम RMAT-2008.  इस एग्जाम को करवाने के लिए यूनिवर्सिटी ने कई कर्मचारियों को तैनात किया उनमे से अधिकतर यूनिवर्सिटी के ही कर्मचारी थे जो  दिन में अपनी ड्यूटी करते और  ड्यूटी टाइम के बाद ओवर टाइम करके कुछ मेहनताना हासिल करना चाहते ताकि अपने परिवार को कुछ वित्तीय सहायता कर सके। लगभग 20  लोग ऐसे थे जिन्होंने पूरी रात भर कई महीनो तक काम किया, जिनमे से कुछ की हाजिरी तो  210  दिन तक रही दूसरे शब्दों में कहे तो 210 रात कर्मचारियों ने  काम किया लेकिन उनको एवज में मिला "ठेंगा"।  धन अर्जन करना चाहते थे यह लोग वो भी ओवर टाइम की मेहनत से , लेकिन सालो तक जब उसी मेहनत का फल न मिले तो मन में टीस सी रह जाती है. यह हुआ उन सभी लोगो के साथ जिन्होंने ऑफिस समय के बाद पुरे प्रदेश में होने वाले RMAT-2008 के एंट्रेंस एग्जाम को करवाने के लिए जी तोड़ रात-दिन मेहनत की। जिनेम 1  कोर्डिनेटर, 10 को-कोऑर्डिनेटर के साथ स्टाफ के 10  लोग थे।  इन कुछ कर्मचीरियो ने मुझे बताया की 12 साल हो गए एग्जाम हुए लेकिन अभी तक हमे हमारा मेहनताना नहीं मिला।  जब उन्होंने मुझे बताया तो मेरे होश उड़ गए की इतना लम्बा समय हो गया लेकिन अभी तक बकाया पैसा नहीं मिला? राजस्थान टेक्नीकल यूनिवर्सिटी में हो क्या रहा है ? इस तरीके से कर्मचारियों का पैसा खाकर क्या हासिल करना चाहती है यूनिवर्सिटी ?

उसके बाद जब मालूम चला RMAT-2207 का भी 25% अमाउंट अभी भी बकाया है. हद है राजस्थान की पहली तकनिकी यूनिवर्सिटी की यह दशा देखकर, की अब कर्मचारियों की मेहनत के पैसे भी वर्षो तक अटके पड़े रहेंगे।

RMAT-2008  का अकाउंट अभी तक न तो क्लियर किया न ही क्लोज , इसके अलावा जब सुचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गयी तो भी साफ जानकारी देने से बचता फिर यूनिवर्सिटी प्रशासन लेकिन सच को कैसे छुपाओगे ? 1  अप्रैल 2008 से 31  मार्च 2011  तक के दिए गए अकाउंट स्टेटमेंट  में बताया की यूनिवर्सिटी को RMAT-2008 के द्वारा एप्लीकेशन फीस से 1 करोड़ 59 लाख 40 हजार 300  रु इक्क्ठे हुए साथ ही कौन्सेल्लिंग फीस से 17 करोड़ 58 लाख 77  हजार 250  रु इक्कठे हुए. 2011 जमा धन राशि पर 40  लाख 89 हजार 195  रु का ब्याज भी मिल चूका था इसके अलावा 3180 विब्भिन इनकम हुई अत: कुल इनकम वर्ष 2011 तक जो यूनिवर्सिटी की रही वो 19  करोड़ 59  लाख 9  हजार 925  रु थी । वही अब खर्चे की बात की जाये तो सबसे ज्यादा खर्चा कौन्सेल्लिंग फीस इंस्टिट्यूट को पेड करने में आया जो लगभग 16 करोड़ 92 लाख से ज्यादा था.  हलाकि सभी खर्चे निकाल लेने के बाद भी वर्ष 2011 तक RMAT-2008 के अकाउंट में 1 करोड़ 54 लाख से ज्यादा की धन राशि रखी हुई है जिसका सालाना ब्याज कितना है , किस बैंक अकाउंट में है( निजी बैंक और सरकरी) और अब यह रकम बढ़कर कितनी हो गयी इसका ब्यौरा अभी तक नहीं दिया। 
लेकिन RMAT-2008 में कार्य करने वाले कर्मचारियों का कहना है की जब काम किया तब यह नहीं पता था  की मेहनत  का पैसा भी नहीं मिलेगा , एक कर्मचारी का कहना है उस समय के हिसाब से मेहनताना 40  हजार के लगभग बन रहा था, स्वर्ण के 1 तोले  की कीमत मात्र 12,500 रु थी जबकि आज कीमत 35,220 रु है यदि उस समय स्वर्ण में इन्वेस्ट करता तो 30  ग्राम से ज्यादा स्वर्ण खरीद सकता था जबकि यदि यूनिवर्सिटी यदि अभी भुगतान कर भी दे तो उस धन से मात्र एक तोला ही सोना खरीद पाऊँगा।  दूसरे कर्मचारी ने कहा की उस समय बेटे की पढ़ाई के लिए धन की आवश्यकता  थी इसलिए रात-रात तक OVERTIME काम किया लेकिन अब यदि वो भुगतान मिलता है तो उसकी कोई वैल्यू नहीं।    

हालाँकि उससे एक साल पहले हुए RMAT-2007 में भी कार्य करने वाले 18  कर्मचारियों का 25% भुगतान अभी बाकी है उनका भी 75% भुगतान ही अब तक किया गया है. RMAT-2007 में कुल 41 लोगो को भुगतान किया आगया जिसमे डायरेक्टर,रजिस्ट्रार  आदि भी शामिल है। 14 लाख 64 हजार से ज्यादा का भुगतान उनका बना (बिना टैक्स कटे)था लेकिन उसमे से 75% धन राशि अथार्थ 9 लाख 76 हजार का भुगतान किया जा चूका है जबकि 25% अभी भी शेष है। उसके बाद RMAT-2008 का तो पूरा ही भुगतान शेष है. RMAT-2008 कोर्डिनेटर डॉ एस  के राठौर सर जो की मेरे आदरणीय है से जब बात हुई तो उन्होंने बताया की कोई पुराना डिस्प्यूट है उस वजह से यह अभी तक पैमेंट नहीं हो पाया। हालाँकि इतना लबा  डिस्प्यूट चल रहा है या उसको जानबूझकर  क्लियर नहीं किया जा रहा यह भी एक जांच का विषय है। वही रजिस्ट्रार श्रीमती सुनीता डागा जी से भी मेने कारण  जानना चाहा तो उन्होंने बताया की ऑडिट के कुछ ऑब्जेक्शन की वजह से अभी तक भुगतान नहीं हो पाया आगे उन्होंने बताया जब मेने पूछा की कब तक क्लियर होंगे यह ऑडिट के ऑब्जेक्शन क्योकि अब तो 12  वर्ष हो गए तो उनका कहना है की इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता  । 

इस तरह से RMAT-2008  का पूरा पेमेंट एवं RMAT-2007 का 25% पेमेंट कब मिलेगा इसके बारे में तो अब भगवान या राज्य सरकार ही बता सकती है क्योकि ऑडिट के ऑब्जेक्शन तो अन्नत काल के लिए लग चुके है और क्या फिर यह मान लिया जाये उन सभी कर्मचारियों जिन्होंने रात दिन एक करके 6-7 महीने काम किया उनको अब भुगतान नहीं होगा, साथ ही यह धन राशि कहाँ  जाएगी ? इन सब सवाल के जवाब अब कौन देगा यह तो वक्त बताएगा। लेकिन उम्मीद करता हु जल्द ही उन सभी कर्मचारियों को न्याय मिले।   

          

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